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Empty Seats in IIT and NIT: आईआईटी और NIT में क्यों कम एडमिशन ले रहे छात्र? बीटेक, एमटेक में खाली रह गईं 3000 से ज्यादा सीटें

Empty Seats in IIT and NIT: आईआईटी और NIT में क्यों कम एडमिशन ले रहे छात्र? बीटेक, एमटेक में खाली रह गईं 3000 से ज्यादा सीटें

Empty Seats in IIT and NIT: भारत में इंजीनियरिंग की शिक्षा को लंबे समय से प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में, आईआईटी और एनआईटी (IIT and NIT) में खाली सीटों की बढ़ती संख्या ने सभी को चौंका दिया है। विशेष रूप से, आईआईटी और एनआईटी में खाली सीटें  का यह मुद्दा इंजीनियरिंग शिक्षा और करियर के बदलते परिदृश्य को दर्शाता है। इस लेख में, हम उन कारणों पर चर्चा करेंगे, जो इन शीर्ष संस्थानों में सीटें खाली रहने के लिए जिम्मेदार हैं।

आउटडेटेड कोर्स: छात्रों की घटती रुचि

आईआईटी और एनआईटी में इंजीनियरिंग की कुछ शाखाएँ ऐसी हैं, जिनका औद्योगिक महत्व कम हो गया है। हालांकि इनमें सीटों की संख्या अभी भी अधिक है, लेकिन छात्रों को इनमें करियर की संभावनाएँ कम नजर आती हैं। आज के युवा उभरते क्षेत्रों जैसे डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और क्लाइमेट टेक्नोलॉजी की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। आईआईटी और एनआईटी में खाली सीटें (Empty Seats in IIT and NIT) के मुख्य कारणों में यह भी एक बड़ा कारण है।

एमटेक के लिए कॉमन काउंसलिंग की कमी

जहाँ बीटेक कोर्स के लिए कॉमन काउंसलिंग सिस्टम है, वहीं एमटेक में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है। इसका नतीजा यह होता है कि कई सीटें ब्लॉक हो जाती हैं। छात्रों को अलग-अलग काउंसलिंग प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे वे या तो प्रक्रिया को छोड़ देते हैं या दूसरी जगह एडमिशन ले लेते हैं। अगर एमटेक में भी कॉमन काउंसलिंग लागू हो, तो यह समस्या काफी हद तक सुलझ सकती है।

Empty Seats in IIT and NIT: ड्रॉपआउट की समस्या

एक और बड़ी समस्या है ड्रॉपआउट। कई छात्र, विशेष रूप से एमटेक स्तर पर, पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। इसका कारण प्राइवेट कॉलेजों में बेहतर विकल्प, विदेशी विश्वविद्यालयों में एडमिशन, या फिर जॉब के आकर्षक अवसर हो सकते हैं। यह प्रवृत्ति सिर्फ आईआईटी और एनआईटी में ही नहीं, बल्कि अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में भी देखी जा रही है।

एमटेक कोर्स में अधिक खाली सीटें

रिपोर्टों के अनुसार, आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली जैसे बड़े संस्थानों में भी एमटेक कोर्स की सीटें बड़ी संख्या में खाली रह रही हैं। 2024-25 में, आईआईटी बॉम्बे में 257 और आईआईटी दिल्ली में 416 सीटें खाली थीं। इन संस्थानों में उच्च प्रतिष्ठा के बावजूद, यह स्थिति एमटेक के प्रति घटती रुचि को दर्शाती है।

एनआईटी में भी गिरावट

एनआईटी सुरथकल और एनआईटी राउरकेला जैसे टॉप एनआईटी में भी सीटें खाली रह रही हैं। 2024-25 में, इन संस्थानों में क्रमशः 24 और 28 बीटेक सीटें खाली थीं। यह समस्या केवल एमटेक तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बीटेक में भी सीटों की कमी को दर्शाती है।

छात्रों की प्राथमिकताएँ क्यों बदल रही हैं?

आज के युवा करियर को लेकर अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हैं। वे पारंपरिक कोर्स के बजाय उन क्षेत्रों में जाना पसंद करते हैं, जिनमें भविष्य में ज्यादा अवसर हैं। इसके अलावा, एडमिशन प्रक्रियाओं की जटिलता, करियर में बदलाव की बढ़ती प्रवृत्ति, और विदेशों में शिक्षा का आकर्षण, इन सीटों के खाली रहने के पीछे के प्रमुख कारण हैं।

आईआईटी और एनआईटी में खाली सीटें (Empty Seats in IIT and NIT) सिर्फ एक संस्थागत मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारतीय इंजीनियरिंग शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को भी दर्शाता है। नई तकनीकों को कोर्स में शामिल करना, एमटेक के लिए कॉमन काउंसलिंग जैसी नीतियाँ लागू करना, और छात्रों की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखना ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।


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