सेंट्रल रेलवे में चल रही गड़बड़झाले की भनक तब लगी, जब एक RTI से बड़ा खुलासा हुआ। RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली ने यह जानकारी हासिल की है कि मुंबई डिवीज़न में एस्केलेटरों के रखरखाव में भारी भरकम खर्च हो रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह खर्च, वेस्टर्न रेलवे में होने वाले सालाना खर्च से कहीं ज्यादा है, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ गई है।
RTI खुलासे के अनुसार, सेंट्रल रेलवे में हर एस्केलेटर के रखरखाव पर सालाना 2.97 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। वहीं, वेस्टर्न रेलवे में यही खर्च सिर्फ 1.85 लाख रुपये है। इस अंतर ने हड़कंप मचा दिया है! सीनियर डिवीजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (जनरल) एचएस सूद, जिनकी देखरेख में यह काम होता था, उनका फौरन तबादला कर दिया गया है। रेलवे के इस कड़े कदम से पता चलता है कि आरोपों को गंभीरता से लिया जा रहा है।
हालांकि, सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि सूद का मुंबई डिवीज़न में कार्यकाल पूरा हो चुका था और नियमित प्रक्रिया के तहत उनका तबादला किया गया है।
पर अनिल गलगली नहीं माने! उनका कहना है कि वेस्टर्न और सेंट्रल रेलवे, दोनों के एस्केलेटर एक जैसे ही हैं। रखरखाव के खर्च में इतना बड़ा अंतर होना गलत है। इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि जनता के पैसों की बर्बादी क्यों हो रही है। आम लोगों को सुविधा देने के बजाय, क्या कुछ लोगों की जेबें भरी जा रही हैं?
सूत्रों का कहना है कि इंजीनियर सूद के ट्रांसफर से रेलवे यह दिखाना चाहती है कि वह पारदर्शिता और जवाबदेही को गंभीरता से लेती है। मुंबई के रेल यात्रियों का कहना है कि उन्हें रोज़ाना एस्केलेटर बंद मिलते हैं, जिससे बड़ी परेशानी होती है।