Falcon 2000 Jets Made in Nagpur: भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण आया है, जब वह दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल होने जा रहा है, जो आधुनिक बिजनेस जेट्स का निर्माण करते हैं। पेरिस एयर शो 2025 में फ्रांस की मशहूर कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड (RAL) के साथ हाथ मिलाया है। यह साझेदारी फाल्कन 2000 बिजनेस जेट्स (Falcon 2000 Business Jets, फाल्कन 2000 बिजनेस जेट्स) को भारत में बनाने के लिए है, जो न केवल भारतीय बाजार, बल्कि वैश्विक बाजार के लिए भी होंगे। यह कहानी नई पीढ़ी के उन पाठकों के लिए है, जो भारत के बढ़ते कदम और तकनीकी तरक्की को समझना चाहते हैं।
यह पहला मौका होगा, जब डसॉल्ट एविएशन अपने फाल्कन 2000 जेट्स को फ्रांस के बाहर बनाएगी। इस साझेदारी से भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा, जहां अगली पीढ़ी के बिजनेस जेट्स का निर्माण होता है। इन देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, कनाडा और ब्राजील जैसे नाम पहले से शामिल हैं। इस परियोजना का केंद्र महाराष्ट्र का नागपुर शहर होगा, जहां डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) की अत्याधुनिक सुविधा में इन जेट्स का निर्माण होगा। DRAL को उम्मीद है कि 2028 तक भारत में बना पहला फाल्कन 2000 जेट नागपुर के मिहान सुविधा से उड़ान भरेगा।
इस समझौते के तहत डसॉल्ट एविएशन फाल्कन 2000 के पंख और पूरे फ्यूजलाज (धड़) की असेंबली को DRAL को सौंपेगी। इसके अलावा, फाल्कन 8X और फाल्कन 6X जैसे अन्य जेट्स के सामने वाले हिस्से की असेंबली भी भारत में होगी। यह कदम भारत को वैश्विक एयरोस्पेस उद्योग में एक रणनीतिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि यह समझौता DRAL को फ्रांस के बाहर फाल्कन असेंबली के लिए पहला उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) बनाएगा। यह भारत में मेक इन इंडिया (Make in India, मेक इन इंडिया) की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और वैश्विक एयरोस्पेस आपूर्ति श्रृंखला में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
रिलायंस ग्रुप के संस्थापक चेयरमैन अनिल डी. अंबानी ने इस साझेदारी को देश, एविएशन उद्योग और रिलायंस ग्रुप के लिए एक निर्णायक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि यह सहयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) और मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण को मजबूत करता है। यह परियोजना भारत को वैश्विक एयरोस्पेस मूल्य श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी। भारत में बने फाल्कन 2000 जेट्स देश की तकनीकी क्षमता और विनिर्माण उत्कृष्टता का प्रतीक होंगे।
DRAL का गठन 2017 में हुआ था, जब डसॉल्ट एविएशन और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर ने मिलकर नागपुर के मिहान में एक आधुनिक विनिर्माण सुविधा शुरू की थी। 2019 में पहला फाल्कन 2000 का सामने वाला हिस्सा डिलीवर करने के बाद से, DRAL ने इस जेट के लिए 100 से ज्यादा प्रमुख हिस्सों को असेंबल किया है। यह उपलब्धि DRAL की विश्वस्तरीय सटीक विनिर्माण क्षमता को दर्शाती है और फाल्कन के वैश्विक उत्पादन कार्यक्रम में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। अब इस नई साझेदारी के साथ, DRAL न केवल हिस्सों का निर्माण करेगी, बल्कि पूरे जेट की अंतिम असेंबली भी करेगी।
यह परियोजना भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत को उच्च-स्तरीय बिजनेस जेट्स के निर्माण में एक रणनीतिक केंद्र बनाएगा। यह भारत के बढ़ते हुए एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा और देश को वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करेगा। इसके अलावा, इस परियोजना से रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। DRAL अगले दशक में सैकड़ों इंजीनियरों और तकनीशियनों की भर्ती करने की योजना बना रही है। यह न केवल स्थानीय समुदाय के लिए आर्थिक लाभ लाएगा, बल्कि युवाओं को तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने का मौका भी देगा।
फाल्कन 2000 LXS एक लोकप्रिय बिजनेस जेट है, जो अपनी शानदार कार्यक्षमता, आराम और दक्षता के लिए जाना जाता है। यह जेट आठ से दस यात्रियों को ले जा सकता है और इसका उपयोग कॉर्पोरेट और चार्टर उड्डयन में बड़े पैमाने पर होता है। भारत में इस जेट की मांग तेजी से बढ़ रही है, और वैश्विक बाजार में भी इसकी लोकप्रियता बरकरार है। नागपुर में बनने वाली नई असेंबली लाइन इस बढ़ती मांग को पूरा करेगी। अनुमान है कि यह सुविधा हर साल 24 जेट्स का उत्पादन कर सकती है, जो भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
डसॉल्ट एविएशन का भारत के साथ रिश्ता पुराना है। कंपनी ने राफेल और मिराज 2000 जैसे लड़ाकू विमानों के जरिए भारतीय वायुसेना के साथ लंबे समय से सहयोग किया है। अब फाल्कन 2000 के निर्माण के साथ, कंपनी भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। डसॉल्ट ने पिछले एक सदी में 10,000 से ज्यादा सैन्य और नागरिक विमानों की डिलीवरी की है, जिनमें 2,700 फाल्कन जेट्स शामिल हैं। 2024 में कंपनी ने 6.2 बिलियन यूरो का राजस्व कमाया और इसमें 14,600 कर्मचारी कार्यरत हैं।
यह साझेदारी सिर्फ एक व्यावसायिक समझौता नहीं है। यह भारत की तकनीकी प्रगति और वैश्विक मंच पर बढ़ती प्रतिष्ठा की कहानी है। यह उन लोगों की कहानी है, जो नागपुर की इस सुविधा में काम करेंगे। यह उन युवाओं की कहानी है, जो इस परियोजना के जरिए अपने सपनों को उड़ान देंगे। और यह उस देश की कहानी है, जो आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर कदम बढ़ा रहा है।