महाराष्ट्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दिवंगत पूर्व डिप्टी सीएम और एमएलसी रामराव आदिक की पेंशन लेने के आरोप में एक महिला हृदय रोग विशेषज्ञ के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
रामराव आदिक का साल 2007 में 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। लेकिन उनकी विधवा के बजाय एक महिला डॉक्टर उनके नाम पर पेंशन प्राप्त कर रही थी। ये मामला तब सामने आया जब आदिक के बेटे पृथ्वीराज को इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली।
उन्होंने पहले पुलिस को शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में निजी शिकायत दायर की, लेकिन वहां से भी कोई ठोस फैसला नहीं आया। आखिरकार, पृथ्वीराज ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुआ मामला
हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट अदालत को आदेश दिया कि वो चार सप्ताह के भीतर निर्णय ले। मजिस्ट्रेट ने सुनवाई के बाद पुलिस को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। इसके बाद, 1 मार्च को दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में महिला डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
क्या महिला डॉक्टर ने फर्जी दस्तावेज बनाए?
शिकायत के अनुसार, महिला डॉक्टर की रामराव आदिक से कोई शादी नहीं हुई थी। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या उन्होंने पेंशन प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेज तैयार किए थे।
जानकारी हो कि रामराव आदिक महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और जाने-माने वकील भी थे। 1983 में जब वसंतदादा पाटील मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने आदिक को डिप्टी सीएम नियुक्त किया। हालांकि, वो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सके, लेकिन उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत थी। 1985 तक उन्होंने उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
अब आगे क्या होगा?
इस मामले की जांच जारी है, और पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि महिला डॉक्टर को ये पेंशन कैसे स्वीकृत हुई और क्या इसमें किसी सरकारी अधिकारी की मिलीभगत थी।
निश्चित रूप से ये मामला सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और पेंशन प्रणाली की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि अगले कदम में पुलिस और न्यायपालिका क्या निर्णय लेती है।
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