Ghatkopar Hoarding Collapse: मुंबई में पिछले साल एक ऐसा हादसा हुआ जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। 13 मई 2024 को घाटकोपर इलाके में एक विशाल होर्डिंग अचानक ढह गया। यह होर्डिंग इतनी बड़ी थी कि इसके नीचे 17 लोगों की जान चली गई। इस घटना ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया था। जांच में पता चला कि यह होर्डिंग नियमों से ज्यादा ऊंची बनाई गई थी और इसे भवेश भिंडे की कंपनी ईगो मीडिया ने लगाया था। इस मामले में पांच लोग गिरफ्तार हुए थे, जिनमें से एक थे अरशद खान। अब खबर आई है कि 20 मार्च 2025 को मुंबई की सत्र अदालत ने अरशद खान को जमानत दे दी। इसके साथ ही इस मामले के सभी पांच आरोपी, जिसमें मुख्य आरोपी भवेश भिंडे भी शामिल हैं, अब जेल से बाहर हैं।
क्या हुआ था उस दिन?
13 मई 2024 का दिन मुंबई के लिए बेहद दुखद रहा। उस दिन तेज हवाओं और बारिश के बीच घाटकोपर में एक पेट्रोल पंप के पास यह विशाल होर्डिंग गिर पड़ा। यह इतना बड़ा ढांचा था कि इसके नीचे कई गाड़ियां और लोग दब गए। बचाव दल ने घंटों मेहनत की, लेकिन 17 लोगों को बचाया नहीं जा सका। जांच में सामने आया कि यह होर्डिंग तय सीमा से कहीं ज्यादा बड़ी थी। इसे बनाने और लगाने में कई नियमों की अनदेखी की गई थी। इस हादसे के बाद पुलिस ने ईगो मीडिया के मालिक भवेश भिंडे को मुख्य आरोपी बनाया और उनकी गिरफ्तारी हुई। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
अरशद खान का इस मामले में क्या रोल था?
इस मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने गहरी छानबीन शुरू की। जांच में अरशद खान का नाम सामने आया। पुलिस का कहना था कि अरशद खान ने ईगो मीडिया से कई बार पैसे लिए थे। ये पैसे कथित तौर पर गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (GRP) से इस गैरकानूनी होर्डिंग की अनुमति लेने के लिए दिए गए थे। पिछले महीने क्राइम ब्रांच ने अरशद के खिलाफ 600 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें दावा किया गया कि अरशद ने कई बैंक खातों के जरिए भवेश भिंडे की कंपनी से पैसे लिए। अरशद को दिसंबर 2024 में गिरफ्तार किया गया था, जब वह महीनों तक फरार रहा। लेकिन अब अदालत ने उसे जमानत दे दी है।
जमानत कैसे मिली?
अरशद खान को जमानत मिलने की प्रक्रिया भी दिलचस्प रही। इससे पहले जनवरी 2025 में उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई थी। उस समय कोर्ट ने चार्जशीट में दिए गए सबूतों को गंभीर माना था। लेकिन इस बार उनके वकील ने दलील दी कि पुलिस ने जिन पैसों की बात की, वह होर्डिंग की अनुमति से जुड़े नहीं थे। उनका कहना था कि ये लेन-देन दूसरी कारोबारी गतिविधियों के लिए थे। वकील ने यह भी कहा कि इस मामले में रेलवे, रेलवे पुलिस या नगर निगम के किसी अधिकारी को आरोपी नहीं बनाया गया, तो फिर अरशद पर सारा दोष क्यों? कोर्ट ने इन दलीलों को सुना और जमानत मंजूर कर दी। हालांकि, इस फैसले का विस्तृत आदेश अभी जारी नहीं हुआ है।
भवेश भिंडे और बाकी आरोपियों का क्या हुआ?
भवेश भिंडे इस मामले के सबसे बड़े आरोपी थे। उनकी कंपनी ने ही यह होर्डिंग बनाई थी। हादसे के बाद वह फरार हो गए थे, लेकिन 17 मई 2024 को उन्हें राजस्थान के उदयपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। पिछले साल अक्टूबर में उन्हें भी जमानत मिल गई थी। उनके वकील ने दावा किया था कि यह हादसा प्राकृतिक आपदा की वजह से हुआ, न कि गलत निर्माण की वजह से। इसके अलावा, इस मामले में चार अन्य लोग भी गिरफ्तार हुए थे – जाह्नवी मराठे, मनोज सांघु और सागर कुम्भार। इन सभी को पहले ही जमानत मिल चुकी थी। अब अरशद खान के बाहर आने के साथ ही सभी पांच आरोपी जेल से रिहा हो चुके हैं।
एक अफसर का कनेक्शन भी चर्चा में आया
इस मामले में एक और नाम उछला – आईपीएस अफसर कैसर खालिद का। अरशद खान और कैसर खालिद की पत्नी एक कंपनी में सह-निदेशक थे। उस समय कैसर खालिद GRP के कमिश्नर थे और होर्डिंग की अनुमति उनके कार्यकाल में दी गई थी। पुलिस को शक था कि इस अनुमति में कुछ गड़बड़ हुई होगी। चार्जशीट में भी इस ओर इशारा किया गया था। हालांकि, अरशद के वकील ने कोर्ट में कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है। खालिद को पिछले साल निलंबित कर दिया गया था, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कोई सीधा आरोप तय नहीं हुआ है।
#GhatkoparHoardingCollapse #MumbaiNews #ArshadKhanBail #BhaveshBhinde #CrimeNews
ये भी पढ़ें:पुणे में बस ड्राइवर की खौफनाक साजिश: वेतन कटने से नाराज होकर चलती बस में लगाई आग, 4 की मौत