पिछले कुछ दिनों में, गुलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome), जिसे हिंदी में “गुलियन-बैरे सिंड्रोम” कहा जाता है, पुणे में चिंता का कारण बन गया है। यह बीमारी दुर्लभ लेकिन गंभीर है, और स्वास्थ्य विभाग ने इस पर नज़र रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस लेख में हम इस बीमारी के कारण, लक्षण, और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) क्या है?
गुलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) एक दुर्लभ तंत्रिका विकार (neurological disorder) है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपनी ही परिधीय तंत्रिकाओं (nerves) पर हमला करती है। इसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी पूरी तरह से पक्षाघात (paralysis) हो सकता है।
यह स्थिति तेजी से विकसित होती है और कुछ ही दिनों या हफ्तों में लक्षण गंभीर हो सकते हैं। हालांकि, यह बीमारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन 12 से 30 वर्ष के युवा इस स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील पाए गए हैं।
पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के मामले
पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के 26 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिनमें से ज्यादातर मरीज सिंहगढ़ रोड और धायरी इलाके से हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने बीमारी के तेजी से बढ़ते मामलों पर नजर रखने के लिए एक त्वरित प्रतिक्रिया टीम (Rapid Response Team) गठित की है।
शहर के प्रमुख अस्पतालों ने स्वास्थ्य अधिकारियों को इस बीमारी की गंभीरता की सूचना दी है। पुणे नगर निगम (PMC) ने इन मामलों की पुष्टि के लिए मरीजों के नमूने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को भेजे हैं।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के शुरुआती लक्षण बेहद सामान्य लग सकते हैं, लेकिन यह तेजी से गंभीर हो सकते हैं।
- मांसपेशियों में कमजोरी और झुनझुनी: यह आमतौर पर पैरों से शुरू होती है और हाथों तथा चेहरे तक फैल सकती है।
- चलने और संतुलन में कठिनाई: मरीज को उठने, चलने, और संतुलन बनाने में दिक्कत हो सकती है।
- पीठ और अंगों में दर्द: न्यूरोपैथिक दर्द भी आम लक्षण है।
- सांस लेने में समस्या: गंभीर मामलों में मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत हो सकती है।
- अनियमित हृदय गति और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव: यह लक्षण भी सामने आ सकते हैं।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के कारण
हालांकि गुलियन-बैरे सिंड्रोम का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह आमतौर पर जीवाणु या वायरल संक्रमण के बाद होता है। संक्रमण के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे यह तंत्रिकाओं पर हमला करना शुरू कर देती है।
इलाज और ठीक होने में लगने वाला समय
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के इलाज के लिए जल्दी निदान और उपचार आवश्यक है।
- इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी और प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग अक्सर किया जाता है।
- ज्यादातर मरीज कुछ हफ्तों से महीनों में ठीक हो जाते हैं।
- हालांकि, लगभग 15% मरीजों में स्थायी कमजोरी रह सकती है और 5% को गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
पुणे में डॉक्टरों का बयान
पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख डॉ. नीना बोराडे ने बताया कि 12 से 30 वर्ष के मरीज इस बीमारी से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि, 59 वर्ष की आयु का एक मरीज भी संदिग्ध मामलों में पाया गया है। उनका कहना है कि अधिकतर मरीज इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के उपाय
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के खिलाफ कोई विशिष्ट टीका या रोकथाम का तरीका नहीं है। हालांकि, अच्छे स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखना, खासकर संक्रमण के दौरान, इस स्थिति के जोखिम को कम कर सकता है।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जिसने पुणे के स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। हालांकि, समय पर इलाज और सही देखभाल से मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। अगर किसी को अचानक मांसपेशियों की कमजोरी, झुनझुनी, या अन्य लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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