विश्व शतरंज चैम्पियनशिप (World Chess Championship) में भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने अपनी शानदार रणनीति और धैर्य के दम पर चीन के गत चैम्पियन डिंग लिरेन को हराकर एक यादगार जीत दर्ज की। यह मुकाबला बुधवार को तीसरे दौर में खेला गया, जहां काले मोहरों के साथ खेलते हुए, डी गुकेश ने ‘टाइम कंट्रोल’ (time control) में अपने कौशल से सबको चौंका दिया। उनकी इस जीत ने न केवल स्कोर को बराबरी पर ला दिया, बल्कि भारतीय शतरंज प्रेमियों में नई उम्मीदें भी जगा दीं।
डी गुकेश की शानदार रणनीति
डी गुकेश, जो भारत के सबसे युवा और प्रतिभाशाली शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं, ने तीसरे दौर के इस महत्वपूर्ण मैच में 37 चालों के भीतर जीत हासिल की। यह मुकाबला न केवल उनकी तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन था, बल्कि उनके मानसिक संतुलन और समय प्रबंधन की उत्कृष्टता का भी प्रमाण था। ‘टाइम कंट्रोल’ (time control) नियम के तहत, खिलाड़ियों को शुरुआत के 120 मिनट में 40 चालें पूरी करनी होती हैं।
गुकेश ने अपनी रणनीति के तहत शुरुआती चालों में समय का कुशलता से उपयोग किया। तेरहवीं चाल तक उन्होंने केवल चार मिनट खर्च किए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी लिरेन ने एक घंटे और छह मिनट खर्च कर दिए थे। इस रणनीति ने लिरेन पर भारी दबाव बनाया और उन्हें जल्दबाजी में गलतियां करने पर मजबूर कर दिया।
दबाव में डिंग लिरेन और गुकेश का धैर्य
खेल का सबसे रोमांचक मोड़ तब आया, जब लिरेन को अपने गलत समय प्रबंधन का खामियाजा भुगतना पड़ा। जैसे-जैसे मुकाबला जटिल होता गया, गुकेश ने अपने चालों से लिरेन को एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया। आखिरी नौ चालों के दौरान, लिरेन के पास केवल दो मिनट का समय बचा था, और आखिरी छह चालों के लिए उनके पास सिर्फ दस सेकंड शेष थे।
गुकेश ने इस स्थिति में अत्यंत परिपक्वता दिखाई और लिरेन की सहज गलतियों का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी जीत पक्की की। उनकी यह जीत शतरंज की दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है।
विश्वनाथन आनंद की छाया में गुकेश का उदय
गुकेश को भारत के पूर्व विश्व शतरंज चैम्पियन और पांच बार के विजेता, विश्वनाथन आनंद का मार्गदर्शन प्राप्त है। आनंद की सलाह और प्रेरणा ने गुकेश को शतरंज के उच्चतम स्तर पर मुकाबला करने के लिए तैयार किया है। उनकी निगाहें अब इतिहास रचने पर हैं, क्योंकि वह विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
‘क्रामनिक रणनीति’ का असर
गुकेश की इस जीत का एक दिलचस्प पहलू यह था कि उन्होंने रूस के पूर्व विश्व चैम्पियन ब्लादीमिर क्रामनिक की रणनीति का उपयोग किया। यह वही रणनीति थी, जिसे क्रामनिक ने एक रैपिड मुकाबले में भारत के अर्जुन एरिगेसी के खिलाफ अपनाया था। हालांकि, उस मैच में एरिगेसी ने ड्रॉ कर लिया था, लेकिन गुकेश ने इसे पूर्णता तक पहुँचाते हुए डिंग लिरेन के खिलाफ जीत दर्ज की।
भविष्य की उम्मीदें
गुकेश की इस जीत ने न केवल उन्हें विश्व शतरंज चैम्पियनशिप में मजबूती से खड़ा किया है, बल्कि भारतीय शतरंज को भी एक नई दिशा दी है। 18 वर्षीय गुकेश के आत्मविश्वास और खेल कौशल ने दिखा दिया है कि वह भविष्य के विश्व चैम्पियन बनने की पूरी क्षमता रखते हैं।