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हरियाणा चुनाव 2024: बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर, नायब सिंह सैनी बने पहली पसंद

हरियाणा चुनाव 2024: बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर, नायब सिंह सैनी बने पहली पसंद
हरियाणा चुनाव 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए हाल ही में जारी किए गए ओपिनियन पोल के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सबसे अधिक वोट और सीटें मिलने की संभावना है, लेकिन कांग्रेस भी कड़ी टक्कर दे रही है। मुख्यमंत्री के रूप में नायब सिंह सैनी पहली पसंद बने हुए हैं। हालाँकि, कोई भी पार्टी बहुमत हासिल करती हुई नहीं दिख रही है, जिससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का संकेत मिल सकता है।

हरियाणा चुनाव 2024: बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों पर हैं और राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। हाल ही में टाइम्स नाउ नवभारत और मैटराइज द्वारा किए गए ओपिनियन पोल के नतीजे राज्य की राजनीति के भविष्य की ओर इशारा कर रहे हैं।

बीजेपी को बढ़त, लेकिन बहुमत से दूर

ओपिनियन पोल के अनुसार, अगर आज चुनाव होते हैं, तो बीजेपी 37 से 42 सीटों के बीच जीत हासिल कर सकती है। वहीं, कांग्रेस भी 33 से 38 सीटों के साथ बेहद करीबी मुकाबले में है। जेजेपी और अन्य दल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन कोई भी पार्टी अकेले बहुमत हासिल करती हुई नहीं दिख रही है।

वोट शेयर में बीजेपी की बढ़त

वोट शेयर के मामले में भी बीजेपी सबसे आगे है, जिसे 35.2 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस 31.6 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि जेजेपी और अन्य दलों को क्रमशः 12.4 प्रतिशत और 20.8 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। यह चुनावी आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि हरियाणा में इस बार का चुनाव बेहद रोमांचक होने वाला है।

नायब सिंह सैनी: मुख्यमंत्री की पहली पसंद

मुख्यमंत्री पद के लिए लोगों की पहली पसंद नायब सिंह सैनी बने हुए हैं, जिन्हें 29 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना समर्थन दिया है। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा 27 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर हैं। इस सर्वे से साफ होता है कि नायब सिंह सैनी की लोकप्रियता हरियाणा में सबसे अधिक है, लेकिन कांग्रेस भी उन्हें कड़ी टक्कर दे रही है।

हरियाणा चुनाव 2024 का यह ओपिनियन पोल यह दर्शाता है कि राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होगा। हालाँकि, किसी भी दल को बहुमत मिलता हुआ नहीं दिख रहा है, जिससे गठबंधन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। आगामी चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह समीकरण कितना बदलता है।


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