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हीरा मंडी: संजय लीला भंसाली के चमचमाते संसार में एक अनसुनी कहानी

हीरा मंडी
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संजय लीला भंसाली का नाम सुनते ही दिमाग में आते हैं भव्य सेट, खूबसूरत कपड़े, और दिल को छू लेने वाली कहानियां। लेटेस्ट नेटफ्लिक्स सीरीज़ ‘हीरा मंडी’ में भी भंसाली की वही छाप है, लेकिन इस बार उन्होंने तवायफ़ों की दुनिया को अपने कैमरे में कैद किया है। क्या इतिहास के पन्नों में दबी इन औरतों की जिंदगी दिखा पाएगी ये सीरीज़? आइए जानते हैं।

‘हीरा मंडी’ की कहानी लाहौर के कोठों में रहने वाली तवायफ़ों की है। कभी नवाब इन तवायफ़ों के दीवाने हुआ करते थे और अपनी दौलत इन पर लुटा देते थे। सीरीज़ इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। आपको बता दें कि भंसाली अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘देवदास’ में भी तवायफ़ों की ज़िंदगी की एक झलक दिखा चुके हैं।

हीरा मंडी की रानियां
सीरीज़ में कमान संभाली हुई हैं मनिषा कोइराला, जो कोठे की मालकिन ‘मल्लिकाजान’ बनी हैं। उनका किरदार घमंड, क्रूरता और दिल के दर्द से भरा हुआ है। सोनाक्षी सिन्हा (फरीदान) उनसे अपना हक़ लेने के लिए लौटी हैं। इनके अलावा कोठे में काम करने वाली औरतें, उनकी आपसी रंजिशें भी कहानी का हिस्सा हैं।

सीरीज़ की जान
भंसाली ने ‘हीरा मंडी’ में भव्यता का वही पुराना जादू बिखेरा है। गाने, सेट्स, कपड़े – सब कुछ देखने लायक है। लेकिन, इस बार जो चीज़ आपको बांधे रखती है वो है इन औरतों के चेहरों पर छुपा हुआ दर्द। मनिषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, और अदिति राव हेदरी ने अपनी अदाकारी से किरदारों में जान फूंक दी है।

कहां मात खा गई हीरा मंडी?
पुरुष किरदारों को बहुत कमज़ोर लिखा गया है। युवा प्रेम की कहानी भी कुछ खास नहीं है। सीरीज़ में दिखाए गए अंग्रेज़ भी बहुत ‘फिल्मी’ लगते हैं और कहानी का असर कम करते हैं।

‘हीरा मंडी’ उन लोगों के लिए है जिन्हें ग्लैमर के साथ-साथ कुछ अलग देखना पसंद है। अगर तवायफ़ों की दुनिया के बारे में जानने की इच्छा है या भंसाली का सिनेमा पसंद है, तो ये सीरीज़ आपको निराश नहीं करेगी।

‘हीरा मंडी’ के कुछ डायलॉग्स और गाने आपको देर तक याद रहेंगे। हालांकि 8 एपिसोड्स काफी लंबे लगते हैं और कहानी कई जगह खिंची हुई लगती है।

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