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मुंबई की रात में खौफनाक वारदात: रिटायर्ड शख्स पर पड़ोसी का जानलेवा हमला, क्या मदद करना बन गया जुर्म?

मुंबई की रात में खौफनाक वारदात: रिटायर्ड शख्स पर पड़ोसी का जानलेवा हमला, क्या मदद करना बन गया जुर्म?

मुंबई, जो अपनी चमक-दमक और फास्ट लाइफ के लिए जानी जाती है, वहां की एक छोटी सी गली में एक ऐसी घटना घटी जिसने सबको हिलाकर रख दिया। सहार इलाके में रहने वाले 59 साल के एक रिटायर्ड शख्स पर उनके ही पड़ोसी ने चाकू से हमला कर दिया। इस घटना ने न सिर्फ उस इलाके में, बल्कि पूरे शहर में सनसनी फैला दी।

घटना गुरुवार की रात की है। विनोद तानपुरे नाम के ये बुजुर्ग अपने घर से बाहर निकले थे। वो अभी मार्च 2024 में ही कार्गो हैंडलिंग के काम से रिटायर हुए थे। शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आएगा।

उस रात, तानपुरे साहब ने देखा कि उनके पड़ोसी विजय पांगरेकर का किसी ऑटो ड्राइवर से झगड़ा हो रहा है। अपनी बुजुर्गी और अनुभव का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने इस झगड़े को सुलझाने की कोशिश की। लेकिन ये नेक काम उनके लिए मुसीबत बन गया।

पांगरेकर को तानपुरे का ये बीच में पड़ना अच्छा नहीं लगा। वो इस बात से इतना नाराज हो गया कि उसने बदला लेने की ठान ली। जब रात में तानपुरे अपने काम से बाहर निकले, तो पांगरेकर ने उन पर हमला कर दिया।

पांगरेकर ने तानपुरे के पेट में चाकू घोंप दिया। इस जानलेवा हमले से तानपुरे खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़े। आसपास के लोगों ने जब ये खौफनाक मंजर देखा तो वे सकते में आ गए। किसी ने तुरंत पुलिस और एंबुलेंस को फोन किया।

पुलिस जल्दी ही मौके पर पहुंची और तानपुरे को तुरंत कूपर हॉस्पिटल ले जाया गया। उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें सीधे ICU में भर्ती करना पड़ा। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी हालत अभी भी क्रिटिकल है।

इस घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। लोग सोच रहे हैं कि अगर किसी झगड़े को सुलझाने की कोशिश करना इतना खतरनाक है, तो क्या करना चाहिए? क्या हमें दूसरों की मदद करने से डरना चाहिए?

पुलिस ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए पांगरेकर को गिरफ्तार कर लिया है। उस पर IPC की धारा 109 के तहत केस दर्ज किया गया है, जो कि हत्या के प्रयास का आरोप है। ये एक बहुत गंभीर अपराध है जिसके लिए कड़ी सजा हो सकती है।

इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या हमारे समाज में लोगों के बीच इतनी नफरत भर गई है कि छोटी-छोटी बातों पर वे एक-दूसरे की जान लेने पर उतारू हो जाते हैं? क्या हमारे शहरों में रहना इतना खतरनाक हो गया है कि हम अपने पड़ोसियों पर भी भरोसा नहीं कर सकते?

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