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अयोध्या में इंसानियत शर्मसार: बुजुर्ग और असहाय मां को सड़क किनारे छोड़ गए परिजन!

अयोध्या
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अयोध्या से एक ऐसी दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ़ इंसानियत को झकझोर दिया, बल्कि रिश्तों की नींव को भी हिला कर रख दिया। बुधवार की रात, जब दुनिया अपने घरों में सुकून की नींद ले रही थी, तब अयोध्या में एक बुजुर्ग महिला को उसके ही परिजनों ने सड़क किनारे बेसहारा छोड़ दिया। ये शर्मनाक घटना मेडिकल कॉलेज के पास लगे CCTV कैमरे में कैद हो गई, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

रात के अंधेरे में बेहरमी का चेहरा
CCTV फुटेज में साफ़ दिखता है कि एक ई-रिक्शा में दो महिलाएं और एक पुरुष बुजुर्ग महिला के साथ आते हैं। बुजुर्ग महिला बेहद कमज़ोर दिख रही थी, जो शायद चल भी नहीं पा रही थी। तीनों ने मिलकर उस असहाय वृद्धा को सड़क के किनारे बिठाया और बिना एक शब्द बोले वहां से रफ़ूचक्कर हो गए। एक महिला ने पलटकर वृद्धा की ओर देखा, लेकिन उसका दिल नहीं पसीजा और वो भी चली गई। ये दृश्य देखकर हर किसी का दिल दहल गया। क्या रिश्तों की गर्माहट अब इतनी ठंडी हो चुकी है?

देखें इंसानियत को शर्मसार करने वाला वायरल वीडियो:

सुबह खुला राज़, शाम को मौत
गुरुवार सुबह करीब 10 बजे राहगीरों की नज़र उस बेसहारा बुजुर्ग महिला पर पड़ी। कुछ नेकदिल लोगों ने तुरंत दर्शन नगर चौकी पुलिस को ख़बर दी। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए महिला को अयोध्या मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। लेकिन, अफ़सोस! इलाज के दौरान शाम होते-होते उस बुजुर्ग महिला ने दम तोड़ दिया।

डॉक्टरों ने बताया कि महिला के गले में गहरा घाव था, जो शायद कैंसर या किसी गंभीर बीमारी का संकेत था। वो इतनी कमज़ोर थी कि अपना नाम-पता तक नहीं बता पाई। आख़िर वो कौन थी? और उसे इस हाल में छोड़ने वाले लोग कौन थे?

पुलिस की तफ़्तीश: क्या खुलेगा रहस्य?
पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है। CCTV फुटेज अंधेरे में रिकॉर्ड होने की वजह से चेहरों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है, लेकिन पुलिस इसे साफ़ करने की कोशिश में जुटी है। साथ ही, स्थानीय अस्पतालों और वृद्धाश्रमों से संपर्क कर महिला की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।

अयोध्या पुलिस ने IPC की धारा के तहत परिजनों के खिलाफ़ FIR दर्ज कर ली है, जिसमें बुजुर्गों की उपेक्षा और परित्याग जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या इस फुटेज से दोषियों तक पहुंचा जा सकेगा?

समाज का आलम या रिश्तों की हकीकत?
ये घटना सिर्फ़ एक बुजुर्ग को सड़क पर छोड़ने की नहीं, बल्कि उस सामाजिक ढांचे की भी है, जो अब धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहा है। हमारी संस्कृति में माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन कुछ लोग अपने बुजुर्गों को बोझ समझकर इस तरह सड़क पर फेंक देते हैं, जैसे वे इंसान ही न हों। ये घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी मानवता अब सिर्फ़ किताबों और भाषणों तक सिमट कर रह गई है?

आप क्या सोचते हैं?
ये कहानी सिर्फ़ अयोध्या की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। आइए, इस पर विचार करें और अपने बुजुर्गों की कद्र करें। अगर आपके पास इस घटना से जुड़ी कोई जानकारी है, तो स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। आइए, मिलकर इंसानियत को ज़िंदा रखें!

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