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IIT Bombay: IIT बॉम्बे में पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व न के बराबर, 2023 में एक भी ST या OBC शिक्षक की नियुक्ति नहीं

IIT Bombay
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IIT Bombay: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT बॉम्बे) अपने शिक्षकों में विविधता लाने के प्रयास में लगातार असफल साबित हो रहा है। RTI के तहत प्राप्त जानकारी से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि संस्थान ने पूरे वर्ष 2023 में एक भी अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) संकाय सदस्य को नियुक्त नहीं किया।

ये खबर इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि देश के इस प्रतिष्ठित संस्थान में हाशिए के समुदायों का प्रतिनिधित्व पहले से ही बेहद कम है। अंबेडकर-पेरियार-फुले स्टडी सर्कल (APPSC) जैसे छात्र संगठन इस भर्ती प्रक्रिया को केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए आरक्षण नीति का उल्लंघन बता रहे हैं, जिसमें SC, ST और OBC के लिए क्रमशः 15%, 7.5% और 27% कोटा अनिवार्य है।

IIT बॉम्बे द्वारा वर्ष 2023 में भरे गए 21 शिक्षक पदों में से केवल चार आरक्षित श्रेणियों के हैं, और वे सभी अनुसूचित जाति से संबंधित हैं। ये आंकड़े संस्थान में पिछड़े समुदाय के शिक्षकों की बेहद कम संख्या (718 में से केवल 44) को दर्शाते हैं। छात्रों का मानना है कि ये केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित आरक्षण नीति का साफ उल्लंघन है।

इतना ही नहीं, RTI के तहत ये भी पता चला है कि IIT बॉम्बे में पीएचडी कार्यक्रमों में भी पिछड़े वर्गों की भागीदारी नगण्य है। संस्थान के कुल 29 विभागों में से 16 विभागों में वर्ष 2023 में एक भी ST छात्र का पीएचडी में एडमिशन नहीं हुआ, और किसी भी OBC छात्र ने भी दाखिला नहीं लिया।

IIT बॉम्बे, अन्य IIT के साथ मिलकर, पिछले कई वर्षों से शिक्षकों और छात्रों में विविधता की कमी के लिए लगातार आलोचना झेल रहा है। सुप्रीम कोर्ट और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने IIT संस्थानों को रिक्त संकाय पदों को आरक्षण नीतियों के अनुसार भरने का निर्देश दिया है, लेकिन संस्थान इस मोर्चे पर नाकाम साबित हो रहे हैं।

दिसंबर 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने IIT में रिसर्च प्रोग्राम में प्रवेश और शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण नीति का पालन करने का निर्देश दिया था। UGC के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने हाल ही में इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि सभी उच्च शिक्षण संस्थान आरक्षित श्रेणी के रिक्त पदों को भरने पर ध्यान दें।

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