चुनावी मैदान में जारी गरमागरमी के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐतिहासिक भाषण दिया है जिसने न सिर्फ उनके समर्थकों को प्रभावित किया बल्कि विपक्ष को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।
इस भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा का उल्लेख 8 बार और NDA का 10 बार किया, जिससे उनके संदेश का उद्देश्य स्पष्ट होता है – एकता और सहयोग की भावना। उन्होंने अपने सहयोगी दलों के नेताओं, जैसे कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार का भी नाम लिया, जिससे यह दर्शाया गया कि उनकी पार्टी न केवल अपने बल पर, बल्कि सहयोगियों के साथ मिलकर भी आगे बढ़ रही है। उन्होंने इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन की सराहना की और तीसरे कार्यकाल में एनडीए नेतृत्व में अच्छा काम करने का भरोसा जताया.
2014 और 2019 में अपने दम पर सरकार बनाने वाली भाजपा इस बार बहुमत से दूर दिख रही है. पार्टी 241 सीटों के करीब सिमटती नजर आ रही है, जो बहुमत से 30-32 सीट कम है. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी 15 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी और नीतीश कुमार की जदयू 12 सीटों के साथ तीसरी बड़ी पार्टी बन गई है.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में बहुमत न मिलने के संभावित परिणामों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जनता को आश्वस्त किया कि उनकी सरकार नीतियों और विकास के मार्ग पर अडिग रहेगी, चाहे परिणाम कुछ भी हो।
मोदी जी ने अपने भाषण में अपनी सरकार की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 2014 में जब देश बदलाव चुन रहा था तब भ्रष्टाचार और निराशा का माहौल था। अब देश विकास की राह पर है और वह इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों ने इस भाषण को एक मास्टरस्ट्रोक करार दिया है। इसमें प्रधानमंत्री ने न सिर्फ अपनी पार्टी और गठबंधन की ताकत दिखाई बल्कि यह भी संदेश दिया कि वह भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से डेढ़ घंटे पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. दोनों ने सरकार बनाने का दावा किया था और भाजपा पर हमला बोला था.
इससे साफ है कि सत्ता को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर होने वाली है।
कुल मिलाकर, लोकसभा चुनावों के नतीजों पर अभी भी सस्पेंस कायम है और सरकार बनाने को लेकर सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। आगे क्या होता है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
अब सारी निगाहें आखिरी नतीजों पर टिकी हैं। क्या एनडीए बहुमत हासिल करेगा या विपक्ष को बाजी मिलेगी? चर्चा गरमा गई है लेकिन एक बात निश्चित है कि मोदी के इस भाषण ने एक नया किरदार ले लिया है। यह भारतीय राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गया है।