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Impact of Russia Syria Crisis: रूस के लिए क्यों खास था सीरिया, असद सरकार गिरने से क्या हुए उसे नुकसान? -Explained

Impact of Russia Syria Crisis: रूस के लिए क्यों खास था सीरिया, असद सरकार गिरने से क्या हुए उसे नुकसान? -Explained

Impact of Russia Syria Crisis: सीरिया और रूस का संबंध एक दशक से अधिक समय से चर्चा का विषय रहा है। हाल ही में, रूस सीरिया संकट (Russia Syria Crisis) ने विश्व राजनीति में हलचल मचा दी है। सीरिया में असद सरकार के गिरने से रूस को गंभीर नुकसान हुआ है। यह केवल एक तानाशाह की सत्ता का अंत नहीं था, बल्कि इसके साथ-साथ रूस की मिडिल ईस्ट में पकड़ कमजोर हो गई है।

सीरिया संकट का आरंभ और रूस की भूमिका

2011 में सीरिया में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए, जिनका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार को गिराना था। धीरे-धीरे इन विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया, और विद्रोही गुटों के साथ-साथ इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठन भी इसमें शामिल हो गए। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि 2015 तक असद सरकार के गिरने का खतरा मंडराने लगा।

ऐसे समय में रूस ने सीरिया में अपनी भूमिका (Russia’s Role in Syria) को बढ़ाया। असद सरकार ने रूस से सैन्य सहायता मांगी, और इसके बदले रूस को हमीमिम हवाई अड्डे और टार्टस नौसैनिक अड्डे का अधिकार दिया गया। इस साझेदारी ने रूस को भूमध्य सागर में एक स्थायी उपस्थिति दी, जो उसकी वैश्विक सैन्य रणनीति के लिए महत्वपूर्ण थी।

रूस के लिए सीरिया क्यों खास था?

सीरिया रूस के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण था। सबसे पहले, यह मिडिल ईस्ट में रूस का एकमात्र वफादार सहयोगी था। यहां पर स्थित हमीमिम और टार्टस अड्डे रूस को अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में अपनी ताकत बढ़ाने में मदद करते थे। इन अड्डों के माध्यम से रूस ने क्षेत्रीय राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी।

इसके अलावा, सीरिया ने रूस को अमेरिका और उसके सहयोगियों के प्रभाव को चुनौती देने का एक मंच दिया। असद सरकार के समर्थन से रूस ने पश्चिमी देशों के खिलाफ अपनी ताकत दिखाई।

असद सरकार का पतन और रूस को नुकसान

8 दिसंबर 2024 को बशर अल असद की सरकार का अंत हो गया। विद्रोही गुटों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया, और असद देश छोड़ने को मजबूर हो गए। यह घटना रूस के लिए एक बड़ा झटका थी। अब रूस ने न केवल एक प्रमुख सहयोगी खो दिया है, बल्कि मिडिल ईस्ट में उसकी सामरिक स्थिति भी कमजोर हो गई है।

रूस की भूमध्य सागर में उपस्थिति, जो टार्टस नौसैनिक अड्डे के कारण संभव थी, अब खतरे में पड़ गई है। यह अड्डा रूस की सैन्य गतिविधियों के लिए अहम केंद्र था। अब सवाल उठता है कि क्या रूस इन अड्डों पर अपना अधिकार बनाए रख पाएगा या नहीं।

मिडिल ईस्ट में बढ़ती अस्थिरता

सीरिया संकट ने मिडिल ईस्ट में अस्थिरता को और बढ़ा दिया है। इजराइल, ईरान, और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने क्षेत्र को युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया है। इजराइल ने हाल ही में लेबनान में हिज़्बुल्लाह और ईरान पर हमले किए हैं। सीरिया में रूस की गैर-मौजूदगी ने ईरान को कमजोर कर दिया है, जो मिडिल ईस्ट में अमेरिका और इजराइल के खिलाफ मोर्चा संभालने वाला मुख्य देश है।

रूस का भविष्य और सीरिया का प्रभाव

रूस ने असद सरकार को समर्थन देकर भारी निवेश किया था। लेकिन अब, असद सरकार के पतन से रूस को राजनीतिक और सामरिक दोनों ही स्तरों पर नुकसान हुआ है। रूस ने विद्रोहियों के साथ बातचीत करने का संकेत दिया है, लेकिन यह साफ है कि सीरिया जैसा मजबूत साथी उसे अब शायद ही मिले।

रूस की प्राथमिकता अब यूक्रेन युद्ध और अपनी सुरक्षा पर केंद्रित है। हालांकि, सीरिया संकट ने उसकी वैश्विक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में रूस इस नुकसान की भरपाई कैसे करेगा।

सीरिया में सरकार परिवर्तन ने न केवल रूस, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट और विश्व राजनीति को प्रभावित किया है। इस संकट के दूरगामी प्रभाव निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में देखने को मिलेंगे।

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