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बढ़ती मुस्लिम आबादी और जनसंख्या असंतुलन: RSS के ऑर्गनाइजर में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मांग

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने हाल ही में अपनी कवर स्टोरी में बढ़ती मुस्लिम आबादी और घटती जन्म दर के कारण जनसंख्या असंतुलन पर चिंता जताई है। लेख में पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों को परिसीमन के दौरान नुकसान की संभावना को भी रेखांकित किया गया है। लेख में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, ताकि जनसंख्या में हो रहे असंतुलन को रोका जा सके।

क्षेत्रीय असंतुलन का मुद्दा

लेख में साफ कहा गया है कि मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी से क्षेत्रीय असंतुलन पैदा हो रहा है, जिससे सामाजिक और आर्थिक असमानताएं बढ़ सकती हैं। विशेषकर सीमावर्ती राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और उत्तराखंड में मुस्लिम जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। अवैध प्रवास के कारण इन राज्यों में अप्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि देखी जा रही है, जो भविष्य में राजनीतिक संघर्ष का कारण बन सकती है।

राहुल गांधी, ममता बनर्जी और द्रविड़ दलों पर निशाना

लेख में राहुल गांधी, ममता बनर्जी और द्रविड़ दलों पर भी निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है कि राहुल गांधी हिंदू भावनाओं का अपमान करने का जोखिम उठा सकते हैं, जबकि ममता बनर्जी इस्लामिक कार्ड खेल सकती हैं। द्रविड़ पार्टियों को अल्पसंख्यक वोट-बैंक के एकीकरण पर गर्व हो सकता है। लेख में इन नेताओं और दलों की नीतियों को जनसंख्या असंतुलन का कारण बताया गया है।

पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों का प्रदर्शन

लेख के अनुसार, पश्चिमी और दक्षिणी राज्य जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन जनगणना के बाद आधार जनसंख्या में बदलाव होने पर संसद में कुछ सीटें खोने का डर है। ऐसे में नीतियों की आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित करें कि जनसंख्या वृद्धि किसी एक धार्मिक समुदाय या क्षेत्र को असंगत रूप से प्रभावित न करे।

जनसंख्या नीति की वकालत

लेख में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति बनाने की मांग की गई है। यह नीति सुनिश्चित करेगी कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन किसी भी धार्मिक समुदाय या क्षेत्र को असंगत रूप से प्रभावित न करें। जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए नीतियों की आवश्यकता है, ताकि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को रोका जा सके और राजनीतिक संघर्ष की संभावना को कम किया जा सके।

जनगणना और जन्म दर

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुओं की तुलना में मुसलमानों में अधिक जन्म दर दर्ज की गई है। हालांकि, पिछले दो दशकों में मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट देखी गई है। यह गिरावट 1992-’93 के 4.4 से घटकर 2019-’21 में 2.3 तक पहुंच गई है। इसके बावजूद, मुस्लिम आबादी में वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है।

ऑर्गनाइजर के इस लेख में जनसंख्या असंतुलन को एक गंभीर मुद्दा बताया गया है, जिससे सामाजिक और आर्थिक असमानताएं बढ़ सकती हैं और राजनीतिक संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मांग को जोर देकर उठाया गया है, ताकि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके और देश में संतुलन बनाए रखा जा सके।

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