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जम्मू में बढ़ते आतंकी हमले: 18 महीनों में 29 घटनाएं, क्या बन रहा है नया गढ़?

जम्मू में बढ़ते आतंकी हमले: 18 महीनों में 29 घटनाएं, क्या बन रहा है नया गढ़?

हमारे देश के मुकुट के समान जम्मू-कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है, एक बार फिर चिंता का विषय बन गया है। कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की सख्ती के कारण आतंकवादी गतिविधियाँ अब धीरे-धीरे जम्मू की ओर स्थानांतरित हो रही हैं। यह एक ऐसा बदलाव है जो न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी गहरी चिंता का कारण बन गया है।

बदलते आँकड़े, बढ़ती चिंताएँ

पिछले डेढ़ साल के आँकड़े इस बदलाव की गवाही देते हैं। जनवरी 2023 से जून 2024 तक, मात्र 18 महीनों में, जम्मू क्षेत्र में 29 आतंकी घटनाएँ हुई हैं। यह संख्या अपने आप में चौंकाने वाली है। इन हमलों में 42 निर्दोष जानें गईं – इनमें नागरिक भी शामिल हैं और वे बहादुर सैनिक भी, जो हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। दूसरी ओर, इसी अवधि में कश्मीर घाटी में 24 लोगों की जान गई। ये आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि आतंक का केंद्र अब बदल रहा है।

जम्मू में दहशत की घटनाएँ

9 जून 2024 का दिन जम्मू के इतिहास में एक काला दिन बन गया, जब रियासी जिले में तीर्थयात्रियों से भरी एक बस पर आतंकियों ने हमला किया। इस कायराना हमले में 9 निर्दोष श्रद्धालुओं की जान चली गई और 41 अन्य घायल हो गए। यह घटना न केवल जम्मू, बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरा आघात थी।

लेकिन यह अकेली घटना नहीं थी। नए साल की शुरुआत ही इस क्षेत्र के लिए दुखद रही, जब 1 जनवरी 2023 को राजौरी के डूंगरी गाँव में आतंकियों ने पाँच लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इसी गाँव में कुछ दिन बाद IED विस्फोट में दो मासूम बच्चों की जान चली गई। अप्रैल 2023 में पुंछ में हुए एक और कायराना हमले में पाँच वीर सैनिक शहीद हो गए।

आतंकियों की बदलती चाल

सवाल उठता है, आखिर क्यों आतंकी संगठन अब जम्मू को निशाना बना रहे हैं? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला, कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की मजबूत उपस्थिति और कड़ी कार्रवाई ने आतंकियों के लिए वहाँ सक्रिय रहना मुश्किल बना दिया है। दूसरा, आतंकी फंडिंग पर लगाम ने उनकी कमर तोड़ दी है।

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन, जो श्रीनगर स्थित चिनार कोर के पूर्व कमांडर रह चुके हैं, का कहना है, “आज कश्मीर जाना आतंकियों के लिए मुश्किल है।” उनका यह बयान स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

इसके अलावा, जम्मू क्षेत्र का भौगोलिक स्वरूप भी आतंकियों के लिए अनुकूल है। पीर पंजाल की पहाड़ियों के घने जंगल उनके लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गए हैं। ये जंगल न केवल छिपने के लिए उपयुक्त हैं, बल्कि सीमा पार से घुसपैठ के लिए भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों की चेतावनी

रणनीतिक मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ सुशांत सरीन इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि हमें इस बदलाव को पहले ही भांप लेना चाहिए था। वे कहते हैं, “आतंकियों का केंद्र अब स्पष्ट रूप से कश्मीर घाटी से जम्मू क्षेत्र में स्थानांतरित हो गया है। हमें इसकी आहट कई साल पहले ही मिल जानी चाहिए थी।”

सरकार और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया

हाल ही में, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में एक भव्य समारोह में शपथ ग्रहण कर रहे थे, उसी समय आतंकवादियों ने रियासी में तीर्थयात्रियों पर हमला किया। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि आतंकवादी किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। लेकिन भारत सरकार और हमारे बहादुर सुरक्षाबल इस चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सुरक्षा बलों को हर संभव संसाधन और समर्थन दिया जा रहा है ताकि वे इस खतरे से निपट सकें।

आगे की राह

जम्मू में बढ़ती आतंकी गतिविधियाँ निश्चित रूप से चिंता का विषय हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा देश और हमारे सुरक्षाबल किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। इस संकट से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

खुफिया तंत्र को मजबूत करना: आतंकी गतिविधियों की पहले से भनक लग जाए, इसके लिए खुफिया तंत्र को और अधिक सक्रिय और कुशल बनाना होगा।

स्थानीय समुदायों का सहयोग: जम्मू के लोगों को विश्वास में लेना और उनका सहयोग प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोग ही सबसे पहले किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना दे सकते हैं।

सीमा सुरक्षा कड़ी करना: पाकिस्तान से लगी सीमा पर निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए ताकि घुसपैठ रोकी जा सके।

आधुनिक तकनीक का उपयोग: ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और अन्य उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करके जंगली और दुर्गम इलाकों में भी नज़र रखी जा सकती है।

युवाओं को मुख्यधारा में लाना: रोजगार के अवसर पैदा करके और शिक्षा पर ध्यान देकर युवाओं को गलत रास्ते पर जाने से रोका जा सकता है।

एकजुटता की जरूरत

जम्मू की धरती, जो कभी शांति और सद्भाव का प्रतीक थी, आज एक नई चुनौती का सामना कर रही है। लेकिन हमें विश्वास है कि हमारी एकता और दृढ़ संकल्प के आगे आतंक की हर साजिश नाकाम होगी। पाकिस्तान और उसके समर्थित आतंकी संगठन चाहे कितने भी प्रयास कर लें, वे कभी भी जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग नहीं कर पाएंगे।

हमें याद रखना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर सिर्फ एक भू-भाग नहीं है, यह हमारी संस्कृति, हमारी विरासत और हमारी एकता का प्रतीक है। इसकी रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। आइए, हम सब मिलकर इस कठिन समय में एकजुट होकर खड़े हों और अपने वीर जवानों का साथ दें, जो दिन-रात हमारी सुरक्षा के लिए तत्पर हैं। क्योंकि अंत में, प्रेम की ताकत नफरत पर, और शांति की ताकत हिंसा पर हमेशा विजयी होती है।

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