भारत-बांग्लादेश संबंध (India-Bangladesh Tensions) और बांग्लादेश के फैसले भारत के खिलाफ (Bangladesh’s Moves Against India) जैसे विषय हाल के दिनों में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। बांग्लादेश की वर्तमान सरकार के भारत के प्रति रवैये ने दोनों देशों के रिश्तों में एक नए मोड़ को जन्म दिया है।
बांग्लादेश की सरकार और भारत के साथ टकराव
बांग्लादेश की वर्तमान सरकार, जिसके प्रमुख मुहम्मद यूनुस हैं, ने ऐसे कई निर्णय लिए हैं जो भारत के साथ उनके तनावपूर्ण संबंधों को और गहरा कर रहे हैं। इनमें से सबसे प्रमुख मुद्दा हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर लगातार बढ़ रहे हमले हैं।
हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों ने भारत और बांग्लादेश के बीच चिंता की लकीरें खींच दी हैं। 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के 2,200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा पाकिस्तान में हिंदुओं पर हुए हमलों से 10 गुना ज्यादा है।
इन घटनाओं पर बांग्लादेश सरकार की चुप्पी और कार्रवाई न करना भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है। अल्पसंख्यकों के प्रति यह उदासीनता न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि भारत के साथ उनके संबंधों को भी खराब कर रही है।
पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी
बांग्लादेश के नए शासकों ने पाकिस्तान के साथ दोस्ती की पहल की है। जिस पाकिस्तान से बांग्लादेश ने 1971 में खून-खराबे के बाद आजादी पाई थी, उसी से अब दोस्ती का हाथ बढ़ाया जा रहा है।
चटगांव बंदरगाह पर पाकिस्तान से आने वाले जहाजों के बढ़ते आवागमन और बांग्लादेशी सेना को पाकिस्तानी सेना से प्रशिक्षण देने की खबरों ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है।
सार्क को पुनर्जीवित करने की कोशिश
भारत लंबे समय से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) को अधिक महत्व देने के खिलाफ रहा है, क्योंकि इसे क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ने वाला माना जाता है। इसके बावजूद बांग्लादेश की सरकार सार्क को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग
हाल ही में, बांग्लादेश सरकार ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। भारत ने स्पष्ट किया है कि शेख हसीना को सौंपना किसी निर्दोष को खतरे के बीच डालने जैसा होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश सरकार का यह कदम राजनीतिक लाभ और भारत को बदनाम करने की एक चाल हो सकती है।
India-Bangladesh Tensions: क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपने राजनीतिक एजेंडे को साधने के लिए भारत के साथ टकराव का रास्ता अपना रही है। राजनयिक ब्रह्मा चेलानी के अनुसार, बांग्लादेश में संवैधानिक वैधता से दूर एक भीड़ आधारित सरकार है। इस वजह से उनके फैसले भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के बजाय तनाव को बढ़ाने वाले हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
इन सबके बावजूद, भारत ने अब तक संयम और परिपक्वता दिखाई है। भारत ने बांग्लादेश के साथ अपने मित्रवत रिश्तों को बनाए रखने का हरसंभव प्रयास किया है। हालांकि, भारत के लिए यह स्पष्ट है कि उसे अपनी सीमाओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा।
भारत और बांग्लादेश के संबंध लंबे समय से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक रहे हैं। लेकिन हाल की घटनाओं ने इस रिश्ते में दरार डालने का काम किया है। भारत को चाहिए कि वह अपने पड़ोसी देश के साथ बातचीत और कूटनीति के जरिए समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करे।