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पेड़ों का भारी नुकसान: भारत ने खो दिए 23.3 लाख हेक्टेयर जंगल, NGT ने मांगा सरकार से जवाब

पेड़ों का भारी नुकसान
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एक रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने साल 2000 से अब तक 23.3 लाख हेक्टेयर (लगभग 6%) पेड़ों का आवरण खो दिया है। ये आंकड़े वाकई चिंताजनक हैं।

कौन-कौन से विभागों से मांगा जवाब?

NGT ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय सर्वेक्षण विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इस मामले में जवाब मांगा है। साथ ही, पूर्वोत्तर के पांच राज्यों (असम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर) पर विशेष ध्यान देने को कहा है, क्योंकि इन राज्यों में सबसे ज्यादा पेड़ों का नुकसान हुआ है।

क्या कहती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट के मुताबिक, 2002 से 2023 के बीच देश ने 4,14,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन खो दिए हैं, जो इसी अवधि में कुल पेड़ों के नुकसान का 18% है। 2001 से 2022 के बीच, भारत के जंगलों ने सालाना 51 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किया, लेकिन 141 मिलियन टन को अवशोषित भी किया, जिसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 89.9 मिलियन टन का शुद्ध कार्बन सिंक हुआ। इस अवधि के दौरान कुल 1.12 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हुई।

पेड़ों के नुकसान के कारण क्या?

पेड़ों के नुकसान के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि लॉगिंग, आग और तूफान। 2013 से 2023 तक, 95% पेड़ों का नुकसान प्राकृतिक जंगलों में हुआ है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 2015 से 2020 तक भारत में प्रति वर्ष 668,000 हेक्टेयर की वनों की कटाई दर थी, जो विश्व में दूसरी सबसे बड़ी दर है।

कानून का उल्लंघन

NGT ने इसे वन संरक्षण अधिनियम, 1980, वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों का उल्लंघन बताया है। अब सभी को 28 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई से पहले अपनी रिपोर्ट देनी होगी।

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