स्टॉक मार्केट के निवेशकों के लिए पिछला कुछ समय ‘भारत खरीदें, चीन बेचें’ की निवेश रणनीति पर आधारित रहा है। इसका मतलब है कि निवेशक भारतीय शेयरों में निवेश बढ़ा रहे थे और चाइनीज शेयर बेच रहे थे। हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि यह रणनीति बदल सकती है, और बड़े निवेश फंडों का रुझान भारत से हटकर वापस चीन की ओर जा रहा है।
लाजार्ड एसेट मैनेजमेंट, मनुलाइफ इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट, और कांड्रियम बेल्जियम एनवी जैसे प्रमुख निवेश फंड रिकॉर्डतोड़ रैली के बाद भारत में अपना निवेश कम कर रहे हैं। ये कंपनियां अब चीन की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं। चीन की सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए लगातार कदम उठा रही है, और इसी के चलते निवेशक दोबारा चीनी बाजार में संभावनाएं तलाश रहे हैं।
निवेशकों का रुझान चीन की ओर बढ़ने के पीछे कुछ अहम कारण हैं। हाल के आर्थिक आंकड़े चीन के लिए सकारात्मक रहे हैं, और वहां के शेयर अभी अपेक्षाकृत आकर्षक कीमतों पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, चीन की सरकार औद्योगिक विकास और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई आर्थिक सुधारों पर काम कर रही है। इन सुधारों से निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा है।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन में निवेश के अवसरों में बढ़ोतरी हो रही है। उनका कहना है कि चीन की आर्थिक नीतियां भविष्य में भी विकास को समर्थन देती रहेंगी, जिससे देश का औद्योगिक मुनाफा और निर्माण क्षेत्र मजबूत होगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत में शेयरों की कीमतें अपने उच्चतम स्तर (हाई वैल्यूएशन) पर चल रही हैं, जो भारतीय बाजार में कुछ जोखिम पैदा करता है।
चीन का मैनुफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो आर्थिक सुधार के संकेत देता है। इसके साथ ही, चीन का निर्यात और उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) भी बढ़ रहा है। बड़े अमेरिकी बैंकों का मानना है कि भारत अगले दस सालों के भीतर निवेश के लिहाज से अहम लक्ष्य रहेगा।