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Indian Nurses in Yemen Crisis: ना पैसा, ना सुरक्षा, फिर भी यमन क्यों जा रहे हैं भारतीय? चौंकाने वाला सच!

Indian Nurses in Yemen Crisis: ना पैसा, ना सुरक्षा, फिर भी यमन क्यों जा रहे हैं भारतीय? चौंकाने वाला सच!

Indian Nurses in Yemen Crisis: यमन को दुनिया का सबसे खतरनाक और बदहाल देश माना जाता है, फिर भी हजारों भारतीय वहां नौकरी करने जाते हैं। खबर के मुताबिक, यमन में करीब 1,120 भारतीय रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर केरल की नर्सें और मेडिकल स्टाफ हैं। पहले यह संख्या 1 लाख तक थी, लेकिन गृहयुद्ध के कारण कई लोग लौट आए। भारत सरकार ने भी अपने नागरिकों को वहां से निकाला था।

यमन में नर्सों की भारी कमी है, क्योंकि स्थानीय डॉक्टर युद्ध के डर से भाग गए हैं। केरल की नर्सें अपनी मेहनत और विश्वसनीयता के लिए मशहूर हैं। उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में 40,000 से 65,000 रुपये महीने की तनख्वाह मिलती है, जो भारत के छोटे शहरों से ज्यादा है। कई लोग पढ़ाई का कर्ज चुकाने या परिवार की मदद के लिए यमन जाते हैं। दक्षिण यमन के अदन और हुदैदा जैसे इलाके अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं, जहां प्राइवेट अस्पताल और एनजीओ भारतीयों को नौकरी देते हैं।

लेकिन यमन में काम करना जोखिम भरा है। गृहयुद्ध ने हालात खराब कर दिए हैं। कई बार रिक्रूटमेंट एजेंट झूठ बोलकर लोगों को यमन भेज देते हैं। निमिषा प्रिया जैसी नर्सें इन एजेंटों के चक्कर में फंस गईं। कुछ भारतीय, खासकर दाऊदी बोहरा समुदाय और पुराने व्यापारी, 19वीं सदी से यमन में बसे हैं। उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली, लेकिन अपनी भारतीय जड़ें नहीं छोड़ीं।

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