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Indians Deported from US: अमेरिका से लौटे 104 भारतीयों की दर्दनाक दास्तां, ज़ंजीर में बंधे हाथ-पैर, 40 घंटे का खौफनाक सफर

Indians Deported from US: अमेरिका से लौटे 104 भारतीयों की दर्दनाक दास्तां, ज़ंजीर में बंधे हाथ-पैर, 40 घंटे का खौफनाक सफर

Indians Deported from US: बेहतर जिंदगी और सुनहरे भविष्य का सपना लेकर अमेरिका जाने वाले कई भारतीयों की हकीकत बेहद दर्दनाक है। हाल ही में अमेरिका ने अवैध रूप से प्रवेश करने वाले 104 भारतीयों को निर्वासित कर दिया। यह जत्था बुधवार को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। लेकिन अमेरिका से लौटने वाले इन लोगों की कहानी किसी बुरे सपने से कम नहीं है।

ज़ंजीरों में बंधे, बाथरूम जाने की इजाजत तक नहीं!

गुरदासपुर के रहने वाले 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने बताया कि अमेरिका में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें और बाकी प्रवासियों को ज़ंजीरों में जकड़ दिया गया था। पूरी 40 घंटे की यात्रा के दौरान उनके हाथ-पैर बंधे रहे और बाथरूम जाने के लिए भी उन्हें गार्ड्स की दया पर निर्भर रहना पड़ा।

पंजाब के ही होशियारपुर जिले के तहली गांव के हरविंदर सिंह ने बताया, “हमसे बार-बार कहा गया कि अपनी सीट से हिलना मत। जब बाथरूम जाने की इजाजत मांगी, तो हमें घसीटकर ले जाया गया और धक्का देकर अंदर कर दिया गया।”

Indians Deported from US: भूख और थकान से बेहाल यात्री

हरविंदर ने इस यात्रा को “नरक से भी बदतर” बताया। उन्होंने कहा कि 40 घंटे के इस सफर में उन्हें ठीक से खाना भी नहीं दिया गया। हथकड़ियों में जकड़े होने के कारण वे खाना भी ठीक से नहीं खा सके। जब उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से हथकड़ी खोलने का अनुरोध किया, तो उनकी बात अनसुनी कर दी गई।

बेटर लाइफ के सपने ने छीन लिया सबकुछ

हरविंदर और उनकी पत्नी कुलजिंदर कौर ने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया था। लेकिन यह सपना बुरे अनुभव में बदल गया।

शादी के 13 साल बाद भी सीमित संसाधनों के कारण वे बच्चों को अच्छी जिंदगी नहीं दे पा रहे थे। एक एजेंट ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह कानूनी तरीके से 15 दिनों में अमेरिका भेज देगा। लेकिन इसके लिए 42 लाख रुपये मांगे।

बेहतर कल की उम्मीद में परिवार ने अपनी इकलौती ज़मीन गिरवी रख दी और ऊंची ब्याज दर पर कर्ज ले लिया। लेकिन यह सफर सिर्फ धोखा और पीड़ा बनकर रह गया।

8 महीने की दर्दनाक यात्रा और 15 जनवरी को आखिरी कॉल

हरविंदर को अलग-अलग देशों में 8 महीनों तक भटकाया गया। इस दौरान उन्होंने कई जानलेवा परिस्थितियों का सामना किया, लेकिन उम्मीद बनाए रखी।

कुलजिंदर कहती हैं, “15 जनवरी को आखिरी बार बात हुई थी। उसके बाद संपर्क पूरी तरह टूट गया। फिर गांववालों से पता चला कि वह अमेरिका से डिपोर्ट होने वाले 104 लोगों में शामिल हैं। यह खबर मेरे लिए सदमे जैसी थी।”

एजेंट का धोखा और बढ़ता कर्ज

एजेंट ने सिर्फ 42 लाख रुपये ही नहीं, बल्कि हर स्टेप पर पैसे ऐंठे। जब हरविंदर ग्वाटेमाला में था, तब उससे 10 लाख रुपये और मांगे गए। अब कुलजिंदर चाहती हैं कि उस एजेंट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और उनके पैसे वापस मिलें।

अब बचा सिर्फ कर्ज और टूटी हुई उम्मीदें

हरविंदर के परिवार के पास अब न ज़मीन बची, न पैसे—सिर्फ कर्ज और टूटे सपने रह गए हैं। 85 साल के पिता और 70 साल की मां खेतों में काम करने के लिए मजबूर हैं। परिवार पहले भी संघर्ष कर रहा था, लेकिन अब उनकी स्थिति और भी बदतर हो गई है।

अमेरिका जाने का सपना हर साल हजारों भारतीय देखते हैं, लेकिन गैरकानूनी तरीके से जाने की कोशिश कई बार जिंदगी को बर्बाद कर सकती है। एजेंट के झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई और ज़मीन गंवाना कई परिवारों को बरबादी की कगार पर ला चुका है। इस दर्दनाक हकीकत से सबक लेकर युवाओं को सही रास्ता चुनना चाहिए।


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