पेट्रोल-डीज़ल की गाड़ियों को बाय-बाय कहने का वक्त आ गया है! दक्षिण भारत का राज्य, तमिलनाडु, जो पहले से ही एक बड़ा कार बनाने का अड्डा हैं, अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों की दुनिया में छा जाने को तैयार है। खबरें तो ये हैं कि टेस्ला जैसी बड़ी कंपनी को भी वो अपनी तरफ खींचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
भारत गाड़ियों की बढ़ती प्रदूषण से बहुत परेशान है और सरकार भी इसको कम करने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दे रही है। उनका लक्ष्य है कि कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था में प्रदूषण का स्तर बहुत कम हो जाए। इस समय चीन और अमेरिका में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग कम हो रही है, तो भारत टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए एक नया और सुनहरा बाज़ार साबित हो सकता है।
अब बात करते हैं तमिलनाडु की। उनको “भारत का डेट्रॉइट” भी कहा जाता है क्योंकि वहां पहले से ही निसान, रेनॉल्ट, हुंडई, बीएमडब्ल्यू जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं। क्यों टेस्ला तमिलनाडु को पसंद करेगी? इसके पीछे कई कारण हैं। पहले से ही कार बनाने का काम तो वहां जोरों पर चल रहा है, यानी बुनियादी ढांचा मज़बूत है।
इसके अलावा, तमिलनाडु सरकार की इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए नीतियां बहुत अच्छी हैं और वो इस काम के लिए हर तरह की मदद देने को तैयार हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि टेस्ला के मालिक, एलन मस्क, खुद भारत के दौरे पर आ रहे हैं और प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे। हो सकता है बड़ी घोषणा हो जाए! लेकिन तमिलनाडु अकेला नहीं है इस दौड़ में, दूसरे राज्य भी टेस्ला को बुलाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं।
ये तो तय है कि टेस्ला के भारत में आने से देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का काम बहुत रफ्तार पकड़ लेगा। रोज़गार बढ़ेगा और प्रदूषण भी कम होगा। तमिलनाडु की किस्मत अच्छी है कि उसके पास ये मौका सबसे पहले आया है।
भारत सरकार ने कुछ समय पहले ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर लगने वाले टैक्स को घटा दिया था। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा और गाड़ियां सस्ती होंगी। इतना ही नहीं, सरकार ने ये भी ऐलान किया है कि जो विदेशी कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाएंगी, उनको बड़ी छूट भी मिलेगी।