भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचते हुए एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। दरअसल इसरो ने स्पेडेक्स मिशन के तहत अनडॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस मिशन की लॉन्चिंग के बाद, इसरो ने दो अलग-अलग सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में जोड़कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। अब इन दोनों उपग्रहों को सफलता पूर्वक अलग कर दिया गया है। इस तकनीक का उपयोग भविष्य में और भी महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों में किया जाएगा। ये सफलता भारत के डीप स्पेस मिशन और स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Spadex Undocking Successful! 🚀
Key sequence of events:
✅ SDX-2 extension successful
✅ Capture Lever 3 released as planned
✅ Capture Lever in SDX-2 disengaged
✅ Decapture command issued in SDX-1 & SDX-2🎉 FINALLY, SUCCESSFUL UNDOCKING!
Congratulations, Team ISRO! 🇮🇳…
— ISRO (@isro) March 13, 2025
क्या है स्पेडेक्स मिशन?
स्पेडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग की प्रक्रिया का प्रदर्शन करने वाला एक किफायती तकनीकी प्रदर्शन मिशन है। ये तकनीक भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है, जैसे कि चंद्रमा पर भारतीय अभियान, चंद्रमा से नमूना वापसी, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का निर्माण और संचालन आदि। जब किसी मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की आवश्यकता होती है, तो इन-स्पेस डॉकिंग तकनीक अनिवार्य हो जाती है।
स्पेडेक्स मिशन का प्राथमिक उद्देश्य निम्न भू-कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान – एसडीएक्स01 (जिसका नाम चेज़र है) और एसडीएक्स02 (जिसका नाम टार्गेट है) – का मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का विकास और प्रदर्शन करना है। इस मिशन के माध्यम से डॉक किए गए अंतरिक्ष यान के बीच विद्युत ऊर्जा के हस्तांतरण का प्रदर्शन किया जाएगा, जो भविष्य में अंतरिक्ष रोबोटिक्स और अन्य तकनीकी अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक होगा।
इसके अतिरिक्त, इस मिशन के माध्यम से संपूर्ण अंतरिक्ष यान नियंत्रण और अनडॉकिंग के बाद पेलोड संचालन जैसी तकनीकों का भी परीक्षण किया जाएगा। इसरो की ये सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक साबित होगी।
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