टेक्नोलॉजीलाइफ स्टाइल

AI Discovers New Antibiotic for Superbugs: ऐंटीबायोटिक दवा हो रही फेल? जानिए AI ने कैसे की लंदन के प्रोफेसर की मदद कि वो हो गए चकित

AI Discovers New Antibiotic for Superbugs: ऐंटीबायोटिक दवा हो रही फेल? जानिए AI ने कैसे की लंदन के प्रोफेसर की मदद कि वो हो गए चकित

AI Discovers New Antibiotic for Superbugs: दुनिया आज एक ऐसी चुनौती से जूझ रही है, जिसे देखकर वैज्ञानिकों के भी पसीने छूट रहे हैं। हमारे आसपास बैक्टीरिया तेजी से सुपरबग बनते जा रहे हैं। ये सुपरबग वो खतरनाक बैक्टीरिया हैं, जो आम ऐंटीबायोटिक दवाओं को बेअसर कर देते हैं। पहले एक छोटी सी गोली से ठीक होने वाली बीमारियां अब जानलेवा बन रही हैं। इसका कारण है ऐंटीबायोटिक का गलत और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल। लेकिन अब इस जंग में एक नई उम्मीद जगी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI ने वैज्ञानिकों की मदद की है और एक ऐसी दवा की खोज की है, जिसने सबको हैरान कर दिया। यह कहानी है सुपरबग से जंग में AI की जीत (AI Victory Over Superbugs) की।

कई सालों से वैज्ञानिक इस बात से परेशान थे कि सुपरबग को कैसे रोका जाए। ये बैक्टीरिया इतने ताकतवर हो गए हैं कि पुरानी दवाएं इन पर काम नहीं करतीं। भारत में तो हालात और भी गंभीर हैं। कर्नाटक सरकार के एक सर्वे में पता चला कि 80% दवा दुकानदार बिना डॉक्टर की पर्ची के ऐंटीबायोटिक बेच देते हैं। इससे सुपरबग की तादाद बढ़ती जा रही है। लेकिन 2023 में एक बड़ी कामयाबी मिली। अमेरिका और कनाडा के वैज्ञानिकों ने AI की मदद से एक नया ऐंटीबायोटिक खोजा। यह दवा खतरनाक सुपरबग को मार सकती है और इंसानों के लिए सुरक्षित भी है। इस खोज की खास बात यह थी कि यह नया मॉलिक्यूल एक टेक्नीशियन के बगीचे की मिट्टी से मिला। मिट्टी में छिपे एक माइक्रोब ने पेट की बीमारी वाले बैक्टीरिया को खत्म करने की ताकत दिखाई।

इस खोज ने वैज्ञानिकों को नई राह दिखाई। बोस्टन की नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट किम लुइस ने बताया कि कई बार हमारे आसपास ऐसी चीजें छिपी होती हैं, जो बहुत काम की हो सकती हैं। इस नए ऐंटीबायोटिक की ताकत यह है कि यह बैक्टीरिया के राइबोजोम पर हमला करता है। राइबोजोम वह हिस्सा है, जो बैक्टीरिया में प्रोटीन बनाता है। अगर यह काम करना बंद कर दे, तो बैक्टीरिया मर जाता है। किम लुइस के मुताबिक, इस तरह की दवाओं के खिलाफ बैक्टीरिया आसानी से प्रतिरोध नहीं बना पाते। यह खोज नेचर पत्रिका में छपी और दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई।

अब बात करते हैं लंदन की एक और हैरान करने वाली कहानी की। इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर जोज़े पेनेडीज और उनकी टीम सालों से सुपरबग की पहेली सुलझाने में लगे थे। उन्होंने एक थ्योरी बनाई कि सुपरबग वायरस की पूंछ जैसे ढांचे का इस्तेमाल करके फैलते हैं। इस थ्योरी को साबित करने में उन्हें दशकों लग गए। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ, जिसने उन्हें चौंका दिया। गूगल के एक AI टूल, जिसका नाम है Co-Scientist, ने सिर्फ 48 घंटे में उनकी थ्योरी की पुष्टि कर दी। यह वही नतीजा था, जो प्रोफेसर की टीम ने सालों की मेहनत से निकाला था। प्रोफेसर जोज़े को यकीन ही नहीं हुआ कि AI इतनी तेजी से ऐसा कर सकता है।

प्रोफेसर जोज़े ने बीबीसी को बताया कि पहले तो उन्हें लगा कि शायद गूगल ने उनकी रिसर्च चुरा ली। लेकिन गूगल ने साफ किया कि उनका AI उनके कंप्यूटर से नहीं जुड़ा था। इसका मतलब था कि Co-Scientist ने खुद से इस सवाल का जवाब ढूंढा। इतना ही नहीं, इस AI टूल ने चार और नई थ्योरियां भी दीं, जो तर्कसंगत थीं। प्रोफेसर ने माना कि AI ने उनकी सालों की मेहनत को दो दिन में पूरा कर दिखाया। यह सुपरबग से जंग में AI की जीत (AI Victory Over Superbugs) का एक और सबूत था। गूगल का यह टूल Gemini 2.0 सिस्टम पर बना है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक दोस्त की तरह काम करता है।

सुपरबग की समस्या कितनी बड़ी है, इसे समझना जरूरी है। हर साल दुनिया भर में 77 लाख लोग बैक्टीरियल इन्फेक्शन से मरते हैं। इनमें से करीब 50 लाख मौतें सुपरबग की वजह से होती हैं। भारत में 2019 में ऐंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से 3 लाख लोगों की जान गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इसे एक शांत महामारी कहता है। भारत में यह खतरा और भी बड़ा है, क्योंकि यहां ऐंटीबायोटिक रेजिस्टेंट टीबी के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। दवा कंपनियां नई दवाएं बना रही हैं, लेकिन सुपरबग इन पर भी भारी पड़ रहे हैं। ऐसे में AI एक नई उम्मीद बनकर उभरा है।

AI की ताकत यह है कि यह इंसानों से कहीं तेज काम करता है। जहां इंसान को सैकड़ों साल लगते हैं, वहां AI कुछ घंटों में जवाब दे देता है। यह दुनिया भर की जानकारी को पढ़ सकता है, उसका विश्लेषण कर सकता है और नई राह सुझा सकता है। कैंसर जैसी बीमारियों में भी AI कमाल कर सकता है। यह बता सकता है कि किसे कैंसर हो सकता है, उसका जल्दी पता लगा सकता है और सही इलाज सुझा सकता है। सुपरबग के खिलाफ भी यह नई दवाएं खोजने में मदद कर रहा है। 2023 में AI ने एक सुपरबग, ऐसिनैटोबैक्टर बोमैनियाई, को मारने वाली दवा खोजी, जो न्यूमोनिया और मेनिंजाइटिस जैसी बीमारियों का कारण बनता है।

यह कहानी बताती है कि AI सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि एक नया साथी है। यह वैज्ञानिकों को तेजी से आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। प्रोफेसर जोज़े कहते हैं कि AI से डरने की जरूरत नहीं है। यह एक ऐसा टूल है, जो विज्ञान को बदल सकता है। चाहे सुपरबग हों या कैंसर, AI हर चुनौती से लड़ने के लिए तैयार है। यह नई खोजें कर रहा है, नई उम्मीदें जगा रहा है और इंसानों को बेहतर जिंदगी देने की राह बना रहा है।


#AIinMedicine #Superbugs #AntibioticResistance #HealthTech #ScienceBreakthrough

ये भी पढ़ें: Builder Scam Exposed in Mumbai: पैसे लिए जाते हैं, लेकिन घर नहीं दिया जाता; मुंबई और आसपास के इलाकों में बिल्डर लॉबी का खेल जारी

You may also like