जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनावों को देखने के लिए 15 देशों के राजनयिकों ने घाटी का दौरा किया। इन राजनयिकों ने चुनावी प्रक्रिया को नज़दीक से देखा और भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की सराहना की। यह चुनाव तीन चरणों में हो रहे हैं, जिसमें 90 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है। बुधवार, 25 सितंबर 2024 को दूसरे चरण के मतदान के दौरान विदेशी प्रतिनिधियों की यह उपस्थिति जम्मू-कश्मीर की बदलती सूरत का प्रतीक है।
विदेशी राजनयिकों की दिलचस्पी और मतदान प्रक्रिया
इस बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान अमेरिका, नॉर्वे, सिंगापुर जैसे प्रमुख देशों के राजनयिकों ने घाटी का दौरा किया। यह प्रतिनिधिमंडल बडगाम जिले के ओमपोरा मतदान केंद्र से शुरू होकर चिनार बाग के अमीरा कदल और एसपी कॉलेज तक पहुंचा। एसपी कॉलेज में उन्हें ‘पिंक पोलिंग स्टेशन’ देखने का मौका मिला, जहां पूरा मतदान केंद्र महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा था। Jammu & Kashmir Election Process में विदेशी पर्यवेक्षकों की दिलचस्पी यह दर्शाती है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था वैश्विक स्तर पर भी ध्यान खींच रही है।
इस मतदान प्रक्रिया के दौरान विदेशी पर्यवेक्षकों को मतदान के तकनीकी पक्षों की जानकारी दी गई। राजनयिकों ने चुनावी प्रक्रिया की सराहना की और इसे पारदर्शी व सुरक्षित बताया। Jammu & Kashmir Voting की सुरक्षा व्यवस्था और वहां की चुनावी प्रक्रियाओं को देखकर विदेशी प्रतिनिधि खासे प्रभावित हुए।
आर्टिकल 370 हटने के बाद का पहला चुनाव
जम्मू-कश्मीर में यह पहला मौका है जब आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यह चुनाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत सरकार द्वारा उठाए गए ऐतिहासिक फैसलों के बाद हो रहा है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया लंबे समय से ठप पड़ी थी, लेकिन अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू हो गई है।
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 370 आर्टिकल को हटाकर वहां की राजनीतिक स्थिति को सामान्य बनाने की कोशिश की थी। इस चुनाव के माध्यम से जनता का भरोसा पुनः जीता जा रहा है। इस बार के चुनाव में राजनयिकों की मौजूदगी ने इसे और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है, क्योंकि विदेशी पर्यवेक्षकों की मौजूदगी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जम्मू-कश्मीर की स्थिति और चुनावी प्रक्रिया का आकलन किया जा रहा है।
तीन चरणों में हो रहे हैं चुनाव
जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव तीन चरणों में आयोजित किए जा रहे हैं। पहले चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों के लिए मतदान हुआ था, जबकि दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 सीटों के लिए मतदान हुआ। तीसरा चरण 1 अक्टूबर को आयोजित होगा, जिसमें 40 सीटों पर मतदान होगा। इन तीनों चरणों की मतगणना 8 अक्टूबर को की जाएगी।
चुनाव आयोग ने इन चुनावों को सुचारू और सुरक्षित ढंग से कराने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है। स्थानीय जनता ने भी उत्साह के साथ इन चुनावों में भाग लिया। पहले चरण में बड़े पैमाने पर मतदान हुआ, जिससे यह संकेत मिला कि जनता लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहती है। दूसरे चरण में भी जनता का उतना ही उत्साह देखा गया।
विदेशी राजनयिकों का दौरा: लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक
विदेशी राजनयिकों का जम्मू-कश्मीर आकर चुनाव देखना भारत के लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है। इस तरह की विदेशी निगरानी यह सुनिश्चित करती है कि चुनावी प्रक्रिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त हो। यह दौरा इसलिए भी खास है, क्योंकि आतंकवाद से प्रभावित रहे जम्मू-कश्मीर में अब हालात सामान्य होते जा रहे हैं।
राजनयिकों की उपस्थिति से यह संदेश भी जाता है कि भारत का लोकतंत्र न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सुशासन और पारदर्शिता का प्रतीक है। इसके साथ ही विदेशी प्रतिनिधियों की मौजूदगी से यह स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर अब एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है और वैश्विक समुदाय की नजरों में अपनी छवि सुधार रहा है।
जम्मू-कश्मीर का नया चेहरा
आर्टिकल 370 हटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, और इसने जम्मू-कश्मीर की नई तस्वीर को पेश किया है। विदेशी राजनयिकों की इस उपस्थिति ने दिखाया कि अब जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं मजबूती से चल रही हैं और यहां का माहौल पहले से काफी बेहतर हो चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को जड़ से खत्म करने का वादा किया था, और यह चुनाव उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति और अधिक स्थिर होगी, और यहां के लोग विकास और शांति की ओर बढ़ेंगे।
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