Jharkhand Election 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झारखंड चुनाव (Jharkhand elections) की बिसात सज चुकी है, जहां इंडिया और एनडीए दोनों ही गठबंधन अपनी-अपनी चालें चल रहे हैं।
इस बार की लड़ाई में स्थानीय मुद्दों का दबदबा दिखाई दे रहा है। खासकर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के बाद झारखंड विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। साथ ही इंडिया गठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर कई बदलाव और समीकरण देखने को मिल रहे हैं।
क्या है वोटों का गणित और सीट बंटवारा?
इस बार एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन का प्रमुख उद्देश्य मतों का बंटवारा कम से कम करना है। एनडीए की तरफ से झारखंड चुनाव (Jharkhand Election 2024) में बीजेपी 68 सीटों पर मैदान में है, जबकि जदयू 2, आजसू 10 और लोजपा 1 सीट पर उम्मीदवार उतार रहे हैं।
दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन के घटक दल जेएमएम, कांग्रेस, और भाकपा माले के बीच कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष की स्थिति बनती दिख रही है। हालांकि अभी तक इंडिया गठबंधन के सीट बंटवारे पर पूरी तरह सहमति नहीं बनी है। चर्चा है कि जेएमएम अपने खाते से कुछ सीटें भाकपा माले को दे सकती है।
इस चुनाव में कई महत्वपूर्ण सीटों पर कड़ी टक्कर की उम्मीद है। एनडीए में बेहतर तालमेल दिख रहा है, जबकि इंडिया गठबंधन के कई घटक दलों के बीच सीटों को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। बीजेपी इस बार पिछले चुनाव की तुलना में 11 सीटें कम पर मैदान में है, जबकि जेएमएम और कांग्रेस के उम्मीदवार मिलकर 72 सीटों पर उतरेंगे। एनडीए के मुकाबले इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर असमंजस अधिक है, जिससे दोनों पक्षों के बीच संघर्ष की संभावना बढ़ रही है।
चुनावी मुद्दे: स्थानीयता से लेकर डेमोग्राफिक बदलाव
झारखंड चुनाव 2024 में वोटों का गणित (Voter arithmetic) इस बार काफी दिलचस्प है, क्योंकि यहां के चुनावी मुद्दे पूरी तरह से स्थानीयता और जनसांख्यिकी (डेमोग्राफिक) बदलावों पर केंद्रित हैं। बीजेपी संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की तुलना में मुस्लिम जनसंख्या के तेजी से बढ़ने को बड़ा मुद्दा बना रही है। पार्टी ने इस क्षेत्र में डेमोग्राफी बदलाव के साथ-साथ हेमंत सोरेन सरकार की नीतियों पर भी हमला बोला है।
वहीं इंडिया गठबंधन के घटक दल जैसे जेएमएम अपने पारंपरिक समर्थन आधार पर भरोसा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार की योजनाओं जैसे मंइयां योजना को आधार बनाकर जेएमएम ने अपनी चुनावी रणनीति तैयार की है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने अभी तक कोई विशेष मुद्दा नहीं उठाया है, जबकि लेफ्ट पार्टियां स्थानीयता के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतर रही हैं।
पिछला चुनाव और एनडीए-इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन
साल 2019 में एनडीए और इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन की तुलना करें, तो वोटों का गणित (Voter arithmetic) दोनों ही गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। बीजेपी ने पिछले चुनाव में 79 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 25 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि पार्टी का वोट शेयर 33.37% रहा था। एनडीए में शामिल आजसू ने भी 53 सीटों पर चुनाव लड़ा और 8.1% वोट शेयर के साथ 2 सीटें जीती थीं।
इंडिया गठबंधन में जेएमएम ने सबसे अधिक 43 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 30 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 16 सीटों पर जीत मिली थी। राजद ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 1 सीट जीत पाई थी। 2019 के इन आंकड़ों से इस बार के चुनाव में इंडिया और एनडीए दोनों ही गठबंधन अपने वोट शेयर को बढ़ाने की कोशिश में हैं।
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