झारखंड की राजनीतिक फिजा में बड़े बदलाव की बयार चल रही है। राज्य में सत्ता के समीकरण नए मोड़ पर आ गए हैं, जिसमें दल-बदल और नए गठजोड़ की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। झारखंड की राजनीति (Jharkhand Politics) में इस समय रंगों का अनूठा खेल देखने को मिल रहा है।
रंगों का खेल और बदलते समीकरण
झारखंड की राजनीति (Jharkhand Politics) में भगवा और हरे रंग की नई कहानी लिखी जा रही है। जो नेता कल तक जेएमएम के हरे झंडे के साथ खड़े थे, आज वे भगवा रंग में रंग गए हैं। चंपई सोरेन का बीजेपी में आना इसी बदलाव का एक बड़ा उदाहरण है। कोल्हान के टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन अब भगवा दल के साथ नई राह पर चल पड़े हैं।
नई चुनौतियां और पुराने साथी
बीजेपी के लिए यह समय नई चुनौतियों का है। पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं में असंतोष की लहर है। लुईस मरांडी जैसे दिग्गज नेता का पार्टी छोड़ना इसी असंतोष को दर्शाता है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बदलाव (Changes in CM Race) की चर्चा तेज हो गई है, जिसमें बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आ रहे हैं।
टिकट बंटवारे की नई कहानी
बीजेपी ने इस बार अपने इतिहास में पहली बार एक पिता-पुत्र की जोड़ी को एक ही चुनाव में टिकट दिया है। पार्टी में नए चेहरों की एंट्री से पुराने कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढ़ी है। जेएमएम का दावा है कि बीजेपी के 66 उम्मीदवारों में से 35 से ज्यादा दूसरे दलों से आए हैं। इस बदलाव ने झारखंड की राजनीति को एक नई दिशा दी है, जिसमें पुराने समीकरण टूट रहे हैं और नए बन रहे हैं।