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Jim Corbett privacy: जिम कॉर्बेट में निगरानी कैमरों से महिलाओं की जासूसी, कैसे वायरल हुई तस्वीरों ने खोला जंगल के भीतर छुपा बड़ा घोटाला

Jim Corbett privacy: जिम कॉर्बेट में निगरानी कैमरों से महिलाओं की जासूसी, कैसे वायरल हुई तस्वीरों ने खोला जंगल के भीतर छुपा बड़ा घोटाला
Jim Corbett privacy: क्या है जिम कॉर्बेट में हो रहा प्राइवेसी घोटाला? उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Jim Corbett Tiger Reserve) में हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। स्थानीय महिलाओं और गांवों में रहने वाले लोगों पर निगरानी रखने के लिए कैमरे और अन्य डिजिटल उपकरणों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

रिसर्च में सामने आया है कि इन उपकरणों का उपयोग जंगली जानवरों की देखरेख के बजाय, इंसानों, विशेष रूप से महिलाओं की निजी ज़िंदगी पर नजर रखने के लिए किया गया। जिम कॉर्बेट प्राइवेसी (Jim Corbett privacy) का यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों के बाद गंभीर हो गया, जिसमें एक महिला की गोपनीय तस्वीर बिना उसकी अनुमति के खींची गई थी।


कैसे सामने आया यह घोटाला?

यह खुलासा कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स त्रिशांत सिमलाई और क्रिस एस की स्टडी, “Gendered Forests: Digital Surveillance” के जरिए हुआ। रिसर्च में बताया गया कि वन विभाग के अधिकारियों ने जंगल में तैनात निगरानी उपकरणों का उपयोग महिलाओं की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए किया।

महिलाओं की जासूसी के आरोप तब पुख्ता हुए जब एक महिला की तस्वीर वायरल हो गई। वह महिला जंगल में लकड़ी और चारा बीनने के लिए गई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि इन उपकरणों का दुरुपयोग ग्रामीण महिलाओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया गया।

स्टडी के दौरान महिलाओं ने कहा कि उनके गाने गाने और ऊंची आवाज़ में बात करने की पारंपरिक आदतें अब खतरे में हैं। उन्होंने बताया कि इन परंपराओं का महत्व सांस्कृतिक ही नहीं बल्कि बाघ जैसे जंगली जानवरों के हमलों से बचाव के लिए भी है।


सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों ने बढ़ाया विवाद

स्थानीय महिलाओं ने बताया कि उनकी तस्वीरें और वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। वायरल हुई एक तस्वीर में एक महिला को बिना सहमति के एकांत अवस्था में रिकॉर्ड किया गया था। यह तस्वीर हाल ही में अस्थायी रूप से तैनात वन कर्मियों के जरिए सोशल मीडिया पर डाली गई।

महिलाओं ने अपनी असहजता व्यक्त की और कहा कि इन उपकरणों के कारण उन्हें अब जंगलों में जाने में डर लगने लगा है। यह मामला इतना बढ़ गया कि गुस्साए गांव वालों ने जंगलों में लगे सर्विलांस कैमरों को तोड़ दिया और वन चौकी को आग लगाने की धमकी दे दी।


तकनीकी उपकरणों का गलत इस्तेमाल

जंगल की निगरानी के लिए लगाए गए उपकरण जैसे ड्रोन, सीसीटीवी कैमरा, और वॉइस रिकॉर्डर का उपयोग लोगों की जासूसी के लिए किया गया। यह न केवल महिलाओं की गोपनीयता का उल्लंघन है, बल्कि उनके मानवाधिकारों का भी हनन है।

स्टडी में यह भी सामने आया कि इन उपकरणों के कारण महिलाओं का गाना गाना या जंगल में एक-दूसरे से बात करना कम हो गया है। ऐसा करने पर उन्हें रिकॉर्ड किए जाने का डर सताता है। एक महिला ने बताया, “अब तो हम जंगल में कदम रखते ही डरते हैं कि हमारी हर हरकत रिकॉर्ड की जा रही है।”


जांच जारी, गांव वालों का आक्रोश

24 नवंबर को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद उत्तराखंड के वन विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने निगरानी उपकरणों की तैनाती पर रोक लगाने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।

गांव वालों ने अपनी सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि अगर इस मामले में दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करेंगे।


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