26/11 मुंबई हमले में बचने वाली सबसे छोटी बच्ची थी देविका रोतावन। उस समय वो सिर्फ 9 साल की थी। CST स्टेशन पर खड़े-खड़े उसे और उसके पिताजी-भाई को आतंकवादियों ने गोलियां मारी थीं। बड़ी मुश्किल से देविका की जान बची। कोर्ट में उसने कसाब को पहचान कर उसे सज़ा दिलवाई थी। उसके बाद भी इस परिवार ने बहुत मुश्किलें झेलीं – पैसे की तंगी, घर ना होना, बीमारियां…सरकार से मदद मांगी, तो उन्होंने मना कर दिया!
अब हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया है! जजों ने कहा कि ये कोई मामूली केस नहीं है, इसमें संवेदनशीलता से काम लेना होगा। उन्होंने महाराष्ट्र के आवास मंत्री से कहा कि इस लड़की की हालत देखकर उसे घर ज़रूर दिया जाए! आखिरकार, मंत्री जी ने कोर्ट का आदेश मान लिया और MHADA या SRA के किसी प्रोजेक्ट में से देविका के लिए घर देने का वादा किया है। कोर्ट ने खुशी जताई है कि देविका को इंसाफ मिल रहा है, और सरकार को 6 महीने का समय दिया है घर देने के लिए।
देविका को इंसाफ दिलाने में कोर्ट का यह फैसला बहुत अहम है। पहले उसे सरकार से अर्ज़ी लगाने के लिए घूमना पड़ा था। कई बार उसकी अर्ज़ी नामंज़ूर हो गई। सरकार ने पहले देविका के परिवार को 13 लाख रुपए मुआवज़े के तौर पर दिए थे, पर वो पैसा इतने सालों के संघर्ष में खत्म हो गया। बेचारी देविका, 26/11 का सदमा झेलने के बाद भी इतनी हिम्मत रखती है, और अपने अधिकार के लिए लड़ रही है। आशा करते हैं कि उसे जल्द ही अपना घर मिल जाए, ताकि वो और उसका परिवार सुकून से रह पाएं!