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कीर स्टार्मर: कभी वामपंथी थे, वेश्यालय की छत पर रहकर पढ़े, वामपंथियों को ठिकाने लगाया, कश्मीर पर भारत के समर्थक

कीर स्टार्मर

भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हराया: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अब पद पर नहीं रहेंगे। लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर ने चुनाव में उन्हें हरा दिया है। लेबर पार्टी ने 650 में से 410 सीटें जीती हैं, जिससे कीर स्टार्मर अब ब्रिटेन के 58वें प्रधानमंत्री बनेंगे।

साधारण परिवार से प्रधानमंत्री तक का सफर

2 सितंबर 1962 को लंदन में एक नर्स और एक औजार बनाने वाले कारीगर के घर में जन्मे कीर स्टार्मर का बचपन एक साधारण मिडिल क्लास परिवार में बीता। उनके पिता रोडने स्टार्मर एक कट्टर लेफ्टिस्ट थे, जिन्होंने लेबर पार्टी के संस्थापक कीर हार्डी के नाम पर अपने बेटे का नाम रखा। बचपन से ही पढ़ाई में तेज स्टार्मर को उनके भाई-बहन ‘ग्रामर स्कूल का सुपरबॉय’ कहकर बुलाते थे।

कीर स्टार्मर

वेश्यालय की छत पर रहकर पढ़ाई

लीड्स यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए लंदन आने पर उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे। इसलिए उन्हें वेश्यालय की छत पर बने कमरे में रहना पड़ा। कमरा छोटा और गंदा था, लेकिन सस्ता था। इस तरह की परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से सिविल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

कीर स्टार्मर

वकील से प्रधानमंत्री बनने का सफर

1987 में लंदन में बेरिस्टर के तौर पर काम करना शुरू करने के बाद कीर स्टार्मर ने मानवाधिकार और क्रिमिनल डिफेंस के मामलों पर काम किया। 2002 में उन्हें राजमहल से नाइटहुड की उपाधि मिली और वे सर कीर स्टार्मर बने। अपने वकालत के करियर के दौरान उनकी मुलाकात विक्टोरिया से हुई, जो आगे चलकर उनकी पत्नी बनीं।

कीर स्टार्मर

राजनीति में प्रवेश

कीर स्टार्मर ने 2020 में लेबर पार्टी के नेता के रूप में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने पार्टी में वामपंथी नेताओं को किनारे कर दिया और भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कदम उठाए। उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर लेबर पार्टी का स्टैंड बदला और इसे भारत-पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा बताया।

प्रधानमंत्री बनने की राह

स्टार्मर ने 2021 में हार्टलपूल के उपचुनाव में हार के बाद राजनीति छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन दोस्तों के समझाने पर उन्होंने अपना विचार बदला। अब, 9 साल बाद, वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उन्होंने हिंदू वोटरों की नाराजगी खत्म करने के लिए मंदिरों का दौरा किया और भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लागू करने का वादा किया।

कीर स्टार्मर की कहानी संघर्ष और मेहनत की मिसाल है। वेश्यालय की छत पर रहकर पढ़ाई करने वाले इस लड़के ने अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय किया है। उनकी सफलता हमें यह सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत और लगन से सब कुछ संभव है।

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