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‘रत्न भंडार’ के लकड़ी के बक्सों में 1978 में 70 दिन तक चली गिनती में कौन-कौन से रत्न मिले, जानें पूरी लिस्ट

रत्न भंडार

जगन्नाथ मंदिर, भारत के चार धामों में से एक है और इसकी महत्ता देशभर में फैली हुई है। इस मंदिर को 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह पुरी, ओडिशा में स्थित है। इस मंदिर में रत्न भंडार है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के बहुमूल्य गहने रखे गए हैं। इन गहनों को विभिन्न राजाओं और भक्तों ने भेंट किया था। रत्न भंडार को दो हिस्सों में बांटा गया है – भीतरी और बाहरी भंडार।

रत्न भंडार का इतिहास

1978 में, रत्न भंडार के गहनों की गिनती की गई थी। यह प्रक्रिया 70 दिनों तक चली थी। इस दौरान सोना, चांदी, हीरा, और अन्य बहुमूल्य रत्नों का संग्रह मिला था। भीतरी भंडार में 367 सोने के गहने और 231 चांदी के सामान मिले थे। बाहरी भंडार में 87 सोने के गहने और 62 चांदी के सामान मिले थे। इनकी कुल वजन काफी अधिक था, लेकिन इनका मूल्यांकन आज तक नहीं किया गया है।

रत्न भंडार

चाबी का गायब होना

रत्न भंडार की चाबी 2018 में गायब हो गई थी, जब सरकार ने मंदिर की संरचना की भौतिक जांच करने की कोशिश की थी। इसके बाद, विवाद बढ़ गया और जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन इसका समाधान अभी तक नहीं हुआ है।

रत्न भंडार को फिर से खोलने की योजना

ओडिशा सरकार ने रत्न भंडार को दोबारा खोलने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। इस समिति का गठन उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार किया गया है। इस साल मार्च में, बीजू जनता दल सरकार ने एक 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था, लेकिन भाजपा सरकार ने उसे भंग कर दिया और नई समिति का गठन किया है।

जगन्नाथ मंदिर के चार द्वार

जगन्नाथ मंदिर के चार मुख्य द्वार हैं – सिंह द्वार, व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार, और अश्व द्वार। सिंह द्वार मुख्य प्रवेश द्वार है, जिसमें दो शेरों की प्रतिमाएं हैं। व्याघ्र द्वार पर बाघ की प्रतिमा है और यह धर्म के पालन का प्रतीक है। हस्ति द्वार पर हाथियों की प्रतिमाएं हैं, जो माता लक्ष्मी के वाहन माने जाते हैं। अश्व द्वार पर घोड़ों की प्रतिमाएं हैं, जो विजय का प्रतीक हैं।

रत्न भंडार

इन द्वारों का महत्व

इन द्वारों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। सिंह द्वार से प्रवेश करने पर मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। व्याघ्र द्वार धर्म पालन की शिक्षा देता है। हस्ति द्वार ऋषियों के प्रवेश के लिए है और अश्व द्वार विजय का प्रतीक है।

इस प्रकार, जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार और उसके चार द्वार मंदिर की महत्ता और उसके ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।

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