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Kosi River Embankment Break: बिहार में बाढ़ का विकराल रूप, कोसी नदी के तटबंध टूटने से तबाही!

Kosi River Embankment Break: बिहार में बाढ़ का विकराल रूप, कोसी नदी के तटबंध टूटने से तबाही!

Kosi River Embankment Break: कोसी नदी का विकराल रूप एक बार फिर बिहार के दरभंगा और आसपास के इलाकों में तबाही मचा रहा है। तटबंध टूटने से बाढ़ का पानी तेजी से फैला है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। यह स्थिति लोगों की जान-माल की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है।

 

कोसी नदी का कहर: बाढ़ की तबाही

बिहार में मानसून आते ही कई जिलों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है, और इस बार भी कोसी नदी ने अपना विकराल रूप दिखा दिया है। दरभंगा जिले के किरतपुर प्रखंड के भभौल गांव में “कोसी बाढ़” (Kosi Flood) के कारण पश्चिमी तटबंध टूट गया, जिससे किरतपुर और घन्यश्यामपुर के कई इलाके पानी में डूब गए हैं। लोग अपने घरों से निकलकर ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने को मजबूर हो गए हैं।

स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है और राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन भारी पानी और बारिश की वजह से स्थिति और भी बिगड़ती जा रही है। जल संसाधन विभाग की टीमें लगातार तटबंधों की निगरानी कर रही हैं ताकि समय पर बचाव कार्य किया जा सके, लेकिन तबाही का यह मंजर थमने का नाम नहीं ले रहा है।

जलस्तर और तटबंध की स्थिति

बिहार के जल संसाधन विभाग ने जानकारी दी है कि बागमती, गंडक और कमला बलान जैसी नदियों के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। “कोसी बाढ़” (Kosi Flood) के साथ ही बागमती नदी के तटबंध में भी कई जगह दरारें आ गई हैं, जिनकी मरम्मत का काम तेजी से किया जा रहा है।

सीतामढ़ी और पश्चिम चंपारण जिलों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां नदियों का पानी आसपास के इलाकों में तेजी से फैल रहा है। खासकर, वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व तक बाढ़ का पानी पहुंच चुका है, जिससे वन्यजीवों की जान को खतरा पैदा हो गया है।

इस स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने उच्च स्तर की बैठकें बुलाई हैं और केंद्र सरकार से मदद की मांग की है। कोसी और गंडक के इलाकों में लोगों की जानमाल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।

प्रशासनिक प्रयास और राहत कार्य

सरकार और स्थानीय प्रशासन लगातार राहत बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं, लेकिन बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। दरभंगा और आसपास के इलाकों में बाढ़ की वजह से फसलें भी बर्बाद हो रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।

बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रभावित इलाकों का दौरा करने की घोषणा की है और लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आदेश दिया है। हालांकि, प्रशासन की मदद पहुंचने में देर होने के कारण स्थानीय लोग खुद ही नावों और छोटे साधनों के जरिए सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।

“कोसी नदी तटबंध टूटा” (Kosi River Embankment Break) और इसके परिणामस्वरूप बाढ़ की स्थिति ने पूरे इलाके में तबाही मचा दी है। बाढ़ के कारण सड़कें, बिजली और अन्य जरूरी सुविधाएं पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों को अपने घरों से दूर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है, जबकि प्रशासन की ओर से खाद्य सामग्री और दवाइयां पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

नदियों के बढ़ते जलस्तर से खतरा

बिहार में मानसून के कारण कई नदियों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। गंडक, बागमती और कमला बलान जैसी नदियों ने आसपास के इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है। सीतामढ़ी जिले में बागमती नदी के किनारे बसे गांवों को खाली करने का आदेश दिया गया है, जबकि पश्चिम चंपारण में गंडक नदी ने कई घरों को बहा दिया है।

“कोसी नदी तटबंध टूटा” (Kosi River Embankment Break) और इसके कारण उफनती कोसी ने हजारों परिवारों को बेघर कर दिया है। लोग सरकारी राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं, लेकिन भोजन और पानी की कमी से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरकारी मदद का इंतजार करते हुए लोगों का धैर्य टूटता जा रहा है।

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