मुंबई

Kunal Kamra Case: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस और शिवसेना को 16 अप्रैल तक जवाब देने को कहा

Kunal Kamra Case: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस और शिवसेना को 16 अप्रैल तक जवाब देने को कहा

Kunal Kamra Case: मुंबई से एक बड़ी खबर सामने आई है, जो आज की युवा पीढ़ी के लिए खासतौर पर दिलचस्प हो सकती है। मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kunal Kamra) इन दिनों सुर्खियों में हैं। उनके खिलाफ मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में एक FIR दर्ज की गई थी, जिसके बाद अब यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। कुणाल ने इस FIR को रद्द करने की मांग की है और इसके लिए कोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी दलील है कि यह मामला उनके बोलने की आजादी पर हमला है। इस बीच, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुलिस और शिवसेना विधायक मुरजी पटेल को नोटिस भेजा है और 16 अप्रैल तक जवाब देने का समय दिया है। आइए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।

कुणाल कामरा (Kunal Kamra) का यह विवाद तब शुरू हुआ, जब उन्होंने अपने एक कॉमेडी वीडियो में कुछ ऐसा कहा, जिसे लेकर बवाल मच गया। इस वीडियो में उन्होंने बिना नाम लिए महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ कह दिया था। यह बात शिवसेना के विधायक मुरजी पटेल को पसंद नहीं आई और उन्होंने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद खार पुलिस ने कुणाल के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। कुणाल का कहना है कि यह उनका कॉमेडी शो का हिस्सा था, जो उन्होंने जुलाई 2024 में लिखा था। यह शो अगस्त 2024 से फरवरी 2025 तक 60 बार पेश किया गया और मार्च 2025 में इसका वीडियो ऑनलाइन डाला गया। लेकिन इसी वीडियो के बाद यह मामला गरमा गया।

पुलिस ने कुणाल को इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था। उन्हें 2 अप्रैल को तीसरा समन मिला, जिसमें 5 अप्रैल को हाजिर होने को कहा गया था। लेकिन कुणाल वहां नहीं गए। उन्होंने पुलिस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने की गुजारिश की, क्योंकि उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। उनके वकील ने कोर्ट में बताया कि कुणाल को अपनी सुरक्षा की चिंता है। लेकिन खार पुलिस ने उनकी इस नई अपील का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया। अब बॉम्बे हाई कोर्ट इस मामले को देख रहा है और उसने पुलिस व शिकायतकर्ता मुरजी पटेल को नोटिस भेजकर 16 अप्रैल तक जवाब मांगा है।

कुणाल की याचिका में कई अहम बातें उठाई गई हैं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ यह FIR उनके बोलने की आजादी (Freedom of Speech) पर हमला है। उनका मानना है कि संविधान उन्हें अपनी बात कहने का हक देता है, फिर चाहे वह किसी नेता या घटना पर टिप्पणी ही क्यों न हो। कुणाल ने कोर्ट से यह भी मांग की है कि उन्हें गिरफ्तारी से बचाया जाए। साथ ही, उनके फोन या लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान को जब्त करने और बैंक खातों की जांच से भी रोका जाए। उनकी दलील है कि यह सब उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, जैसे कि आजादी से जीने का हक और अपने पेशे को चुनने का हक।

इस मामले में कुणाल ने एक बड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि क्या किसी राजनीतिक घटना या नेता की हरकत पर टिप्पणी करना अपराध है? उनका कहना है कि अगर इस तरह के मामले चलते रहे, तो यह नागरिकों की बोलने की आजादी (Freedom of Speech) को खतरे में डाल देगा। आज की नई पीढ़ी, जो सोशल मीडिया पर अपनी बात खुलकर रखती है, उनके लिए यह सवाल बहुत मायने रखता है। कुणाल का यह शो कोई नया नहीं था। उन्होंने इसे कई महीनों तक लाइव किया और फिर ऑनलाइन डाला। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह शायद उन्होंने सोचा भी नहीं था।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने न सिर्फ पुलिस और मुरजी पटेल को नोटिस भेजा, बल्कि कुणाल की उस मांग पर भी विचार करने का भरोसा दिया है, जिसमें उन्होंने वीडियो के जरिए पेश होने की बात कही है। यह नोटिस (Court Notice) इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह तय करेगा कि क्या कुणाल को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा। उनके वकील ने कोर्ट में साफ कहा कि कुणाल को धमकियां मिल रही हैं, जिसके चलते वह डरे हुए हैं। अब सबकी नजर इस बात पर है कि 16 अप्रैल को कोर्ट में क्या होता है।

यह मामला सिर्फ कुणाल कामरा तक सीमित नहीं है। यह उस आजादी की बात करता है, जो हर इंसान को अपनी राय रखने के लिए चाहिए। कुणाल ने अपने शो में जो कहा, वह एक कॉमेडियन की नजर से था। लेकिन इसे लेकर जो कानूनी कार्रवाई हुई, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मिसाल के तौर पर, अगर आप अपने दोस्तों के साथ बैठकर किसी नेता की बात करते हैं और मजाक में कुछ कह देते हैं, तो क्या वह भी अपराध माना जाएगा? आज का युवा, जो ऑनलाइन अपनी बात रखना पसंद करता है, इस मामले को करीब से देख रहा है।

कुणाल ने अपनी याचिका में यह भी बताया कि यह शो उनकी रोजी-रोटी का हिस्सा है। पिछले साल से वह इसे कर रहे थे और मार्च में वीडियो डालने के बाद यह विवाद शुरू हुआ। उनके लिए यह सिर्फ एक शो नहीं, बल्कि उनका पेशा है। अब कोर्ट का यह नोटिस (Court Notice) उनके लिए एक उम्मीद की किरण हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस और शिवसेना इस नोटिस का क्या जवाब देते हैं। इस मामले ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है, जहां लोग बोलने की आजादी और कानून के बीच संतुलन पर बात कर रहे हैं।


#KunalKamra #FreedomOfSpeech #BombayHighCourt #CourtNotice #Shivsena

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका: जानें क्या है पूरा मामला?

You may also like