अजब गजब

Leopard Attack: तेंदुए को पूंछ से पकड़कर महिलाओं-बच्चों को बचाया, बॉम्बे नाम का ग्रामीण रेस्क्यू टीम में शामिल था, मुंबई भागने पर गांववालों ने यह नाम दिया

Leopard Attack: तेंदुए को पूंछ से पकड़कर महिलाओं-बच्चों को बचाया:बॉम्बे नाम का ग्रामीण रेस्क्यू टीम में शामिल था, मुंबई भागने पर गांववालों ने यह नाम दिया

Leopard Attack: कर्नाटक के तुमकुर जिले में एक अद्भुत घटना सामने आई, जहां ‘बॉम्बे’ नाम के एक ग्रामीण ने बहादुरी दिखाते हुए तेंदुए को पूंछ से पकड़ लिया। यह घटना तब हुई जब तेंदुआ गांव में महिलाओं और बच्चों की ओर दौड़ पड़ा। इस साहसिक कदम ने न केवल ग्रामीणों को बल्कि वन विभाग की टीम को भी चौंका दिया।


बॉम्बे की पहचान: नाम के पीछे की कहानी

योगानंद, जिसे गांव के लोग ‘बॉम्बे’ कहकर बुलाते हैं, ने अपनी कहानी साझा की। दरअसल, वह एक बार गांव छोड़कर मुंबई भाग गया था, और तब से उसे यह उपनाम मिल गया। बॉम्बे ने बताया कि यह घटना तब हुई जब वन विभाग की टीम तेंदुए को पकड़ने के लिए जाल और पिंजरा लगाने आई थी। तेंदुआ गांव के जानवरों को लगातार निशाना बना रहा था, जिससे ग्रामीणों के बीच डर का माहौल था।


रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत

सोमवार को ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी कि तेंदुआ उनके इलाके में है। विभाग की टीम ने तत्काल एक ऑपरेशन शुरू किया। जाल और पिंजरा लगाकर, वे तेंदुए के पैरों के निशान ढूंढने लगे। इस ऑपरेशन को देखने के लिए कई ग्रामीण, महिलाएं, और बच्चे भी वहां जमा हो गए थे।


बहादुरी का पल: तेंदुए को पूंछ से पकड़ने की कहानी

बॉम्बे ने बताया कि जैसे ही तेंदुआ झाड़ी से निकलकर महिलाओं और बच्चों की ओर भागा, उन्होंने तुरंत प्रतिक्रिया दी। “मैंने सोचा कि तेंदुआ हमला कर सकता है। मैंने भगवान पर भरोसा किया और उसकी पूंछ पकड़ ली। पूरी ताकत से उसे रोकने की कोशिश की,” बॉम्बे ने कहा।

इस दौरान वन विभाग की टीम ने तेज़ी से काम किया और तेंदुए को सुरक्षित पकड़ लिया। बॉम्बे ने बताया कि उस समय उन्हें डर नहीं लगा, लेकिन बाद में जब टीम ने बताया कि तेंदुआ कितनी तेजी से इंसानों पर हमला कर सकता है, तब उन्हें डर महसूस हुआ।


तेंदुए की हालत और इलाज

वन विभाग की अधिकारी अनुपमा एच ने जानकारी दी कि तेंदुए को मैसुरु के रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है। लगभग 4 साल के इस तेंदुए की सेहत खराब थी। वह काफी कमजोर था और ठीक से देख भी नहीं सकता था। इसके पीछे इलाके में शिकार की कमी एक मुख्य कारण है। रेस्क्यू सेंटर में उसका इलाज किया जाएगा ताकि वह पूरी तरह ठीक हो सके।


गांववालों और तेंदुए दोनों का बचाव

इस घटना में न केवल तेंदुए को सुरक्षित पकड़ा गया बल्कि इंसानों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा। बॉम्बे की बहादुरी और वन विभाग की टीम के कुशल प्रयास से यह ऑपरेशन सफल रहा। यह घटना न केवल साहस की मिसाल है, बल्कि यह दिखाती है कि इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष को कैसे संतुलित किया जा सकता है।


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