मुंबई

Lilavati Hospital: लीलावती अस्पताल में बड़ा घोटाला; 1500 करोड़ का गबन और काला जादू के आरोप

Lilavati Hospital: लीलावती अस्पताल में बड़ा घोटाला; 1500 करोड़ का गबन और काला जादू के आरोप

मुंबई का मशहूर लीलावती अस्पताल (Lilavati Hospital Mumbai) इन दिनों अजीब खबरों के लिए चर्चा में है। इस बार वजह कोई चिकित्सा उपलब्धि नहीं, बल्कि अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों पर लगे 1500 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले (अस्पताल में वित्तीय घोटाला – hospital mein vittiya ghotala) और काला जादू के आरोप हैं। यह खबर सिर्फ मुंबई में ही नहीं, पूरे देश में हैरानी का सबब बन गई है।

अस्पताल के ट्रस्टियों ने लगाए गंभीर आरोप

बांद्रा के इस प्रतिष्ठित अस्पताल के वर्तमान ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने पूर्व ट्रस्टियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जब उन्हें लीलावती किर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट का नियंत्रण मिला, तब अस्पताल के वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच करवाई गई। इस जांच के नतीजे चौंकाने वाले थे।

प्रशांत मेहता के मुताबिक, “हमने फोरेंसिक ऑडिट करवाया जिसमें पांच से ज्यादा रिपोर्ट्स में साफ हुआ कि 1500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का गबन किया गया। यह पैसा पूर्व ट्रस्टियों द्वारा हेराफेरी से निकाला गया, जिनमें से अधिकांश एनआरआई हैं और दुबई व बेल्जियम में रहते हैं।”

फोरेंसिक ऑडिट में खुला बड़ा राज

अस्पताल के वित्तीय लेनदेन की जांच के लिए चेतन दलाल इन्वेस्टिगेशन एंड मैनेजमेंट सर्विसेज और ADB एंड एसोसिएट्स को नियुक्त किया गया था। इन दोनों फर्मों की रिपोर्ट्स में सामने आया कि अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों ने बड़े पैमाने पर हेराफेरी की है।

ऑडिट में पता चला कि थर्ड-पार्टी डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ गैरकानूनी लेनदेन के जरिए 1200 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। इसमें अस्पताल के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों और सामान की खरीद में भी बड़ा घोटाला हुआ। इसके अलावा, गुजरात में भी लीलावती अस्पताल से जुड़े कीमती सामान की चोरी का एक अलग मामला सामने आया है जिसकी जांच चल रही है।

तीन एफआईआर दर्ज, चौथी लंबित

वर्तमान ट्रस्टियों ने फोरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट के आधार पर बांद्रा पुलिस स्टेशन में कई शिकायतें दर्ज कराईं। प्रशांत मेहता ने बताया, “हमने जो शिकायतें दर्ज कराईं, वे बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर में तब्दील हुईं। पूर्व ट्रस्टियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ तीन से अधिक एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।”

इन तीन एफआईआर के अलावा, एक चौथी शिकायत भी अदालत में लंबित है। यह शिकायत काले जादू और तांत्रिक गतिविधियों से जुड़ी हुई है। अब इन मामलों की जांच आर्थिक अपराध शाखा कर रही है।

काला जादू: अस्पताल में मिलीं मानव खोपड़ियां!

वित्तीय गड़बड़ियों के अलावा, अस्पताल में कुछ और भी अजीब चीजें मिली हैं जो सबको हैरान कर रही हैं। प्रशांत मेहता का दावा है कि अस्पताल परिसर में काला जादू और तांत्रिक गतिविधियों के प्रमाण मिले हैं।

उन्होंने बताया, “हमने परिसर में सात से अधिक कलश पाए, जिनमें मानव बाल और खोपड़ियां थीं। यह हमारे लिए बहुत ही चौंकाने वाली बात थी।” मेहता का आरोप है कि पूर्व ट्रस्टियों और उनके सहयोगियों ने अस्पताल परिसर में काला जादू किया था। इस बारे में भी एक अलग शिकायत दर्ज कराई गई है जो अभी कोर्ट में विचाराधीन है।

ट्रस्ट का भविष्य और मरीजों पर असर

इस तरह के आरोपों का अस्पताल की प्रतिष्ठा और मरीजों पर क्या असर पड़ेगा, यह एक बड़ा सवाल है। लीलावती अस्पताल न सिर्फ मुंबई बल्कि पूरे देश में अपनी बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जाना जाता है। यहां रोजाना सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं।

प्रशांत मेहता ने कहा, “लीलावती किर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की गरिमा और पारदर्शिता को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है, ताकि अस्पताल की सेवाओं का सही इस्तेमाल जरूरतमंद मरीजों के लिए हो सके।”

उन्होंने आगे कहा, “फोरेंसिक ऑडिट में सामने आई अनियमितताएं न केवल ट्रस्ट के भरोसे के साथ विश्वासघात हैं, बल्कि अस्पताल की मूलभूत कार्यप्रणाली के लिए भी खतरा हैं। हम इस गबन में शामिल सभी लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

वर्तमान ट्रस्टियों ने प्रवर्तन निदेशालय से भी अपील की है कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत इन आर्थिक अपराधों की तत्काल और प्रभावी जांच की जाए।

क्या होगा आगे?

अब सवाल यह है कि इस मामले में आगे क्या होगा? क्या वाकई में अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों ने इतनी बड़ी रकम का गबन किया है? क्या काले जादू के आरोप सच साबित होंगे? इन सवालों के जवाब तो आने वाले दिनों में ही मिलेंगे।

जब तक पूरी जांच पूरी नहीं होती और दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक लीलावती अस्पताल और इसके ट्रस्ट के लिए यह समय काफी मुश्किल भरा है। हालांकि, वर्तमान ट्रस्टियों का कहना है कि इस पूरे मामले में वे अस्पताल की सेवाओं को बिना प्रभावित किए सभी कानूनी कार्रवाई करेंगे और दोषियों को सजा दिलवाएंगे।

मुंबई के इस प्रतिष्ठित अस्पताल के आसपास मंडरा रहे इन बदनामी के बादलों से कैसे निपटा जाता है, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, मामला अदालत और जांच एजेंसियों के पास है। उम्मीद है कि जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी और अगर कोई दोषी है तो उसे कानून के मुताबिक सजा भी मिलेगी।


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