महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार के एक फैसले ने उन छात्रों को खुशी की सौगात दी है, जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. स्कूल में परीक्षा देते समय स्टूडेंट्स को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. कक्षा एक से बारहवीं तक के छात्र, जो डायबिटीज से पीड़ित हैं, वो जरूरत पड़ने पर अपने साथ लाई गई खाने वाली चीज खा सकेंगे. इस हालात में क्लास में मौजूद टीचर को इसकी अनुमति देनी होगी. इतना ही नहीं, अगर किसी स्टूडेंट को डॉक्टरों ने कोई गेम खेलने की अनुमती दे रखी है, तो वो अपना प्रमाणपत्र जमा करके खेल में भाग ले सकेंगे.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार के पास इस बात की सिफारिश गई थी, कि टाइप-1 से पीड़ित छात्रों को क्लास और परीक्षा हॉल में हर तरह की जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए. ऐसे में राज्य सरकार ने भी छात्रों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और इस संबंध में जीआर बी जारी कर दिया गया. जानकारी हो कि 5 साल पहले ही महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार ने दिव्यांगों की अध्ययन शैली और मूल्यांकन में देने को लेकर गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें दिव्यांग छात्रों की कई श्रेणियां बनाई गई थी. उसी श्रेणियों के अनुसार क्लास में और एग्जाम के समय सहूलियत देने की बात हुई थी.
परीक्षा में खाने की ये चीजें ले सकेंगे विद्यार्थी
महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार ने जो नई गाइडलाइन्स जारी की है, उसके अनुसार अब डायबिटीज से पीड़ित छात्र कक्षा के दौरान खा सकते हैं. यही नहीं ऐसे छात्रों को परीक्षा के दौरान आवश्यकता अनुसार दवा भी रखने की अनुमति दे दी गई है. डायबिटिक स्टूडेंट्स अपने साथ खाद्य सामग्री, फल, पानी, मूंगफली, बिस्किट और सूखा मेवा जैसी चीजें परीक्षा हॉल में ले जा सकेंगे.
क्लास इंस्पेक्टर के पास रखनी होगी सामग्री
परीक्षा के दौरान साथ लाई गई सामग्री को टीचर या फिर क्लास इंस्पेक्टर के पास जमा कराना होगा, ताकि जरूरत के वक्त इस्तेमाल किया जा सके. यही नहीं छात्रों को परीक्षा हॉल में ग्लूकोमीटर ले जाने की भी होगी अनुमति. वहीं अगर कोई स्टूडेंट इंसुलिन पंप का इस्तेमाल करता हो, तो वो उसे अपने पास ही रख सकता है. यही नहीं अगर किसी को ग्लूकोज मॉनिटरिंग के लिए स्मार्ट फोन की जरूरत होती होगी, तो उसे टीचर या फिर निरीक्षक के पास रखना होगा.
डायबिटीज पीड़ित विद्यार्थियों की मिली बड़ी राहत
महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार के इस फैसले ने डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को बड़ी राहत देने का काम किया है. इससे पहले डायबिटीज के छात्रों के लिए कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं थी. जिसकी वजह से मरीजों को परीक्षा के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था. भले ही इस तरह के छात्रों की संख्या काफी कम है, लेकिन उनके अधिकारों की रक्षा के लिए महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार का ये फैसला काफी सराहनीय है.