शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने महाराष्ट्र पुलिस को लेकर एक विवादित बयान देकर सियासी हलचल मचा दी है। उनके इस बयान ने न केवल पुलिस विभाग बल्कि उनकी अपनी पार्टी और सहयोगी नेताओं को भी असहज कर दिया। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की पूरी कहानी।
क्या था संजय गायकवाड़ का बयान?
संजय गायकवाड़ ने महाराष्ट्र पुलिस पर तीखा हमला करते हुए कहा था, “महाराष्ट्र पुलिस जैसा अकार्यकुशल विभाग दुनिया में कहीं नहीं है। अगर पुलिस 50 लाख जब्त करती है, तो वे 50 हजार दिखाते हैं।” इस बयान ने तुरंत सुर्खियां बटोरीं और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया, जिसके बाद उन्होंने यू-टर्न लेते हुए माफी मांग ली।
गायकवाड़ की सफाई और माफी
विवाद बढ़ता देख संजय गायकवाड़ ने अपनी बात को स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “मेरे बयान में महाराष्ट्र पुलिस का नाम गलती से लिया गया। मुझे स्थानीय पुलिस के बारे में बोलना था। महाराष्ट्र पुलिस का साहस और कर्तव्य भुलाया नहीं जा सकता। जिन अच्छे अधिकारियों को मेरे बयान से दुख पहुंचा, उनसे मैं क्षमा मांगता हूं।” उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोगों की वजह से पुलिस की बदनामी हो रही है, लेकिन उन्होंने अपने शब्द वापस लेते हुए विनम्रता से माफी मांगी।
नेताओं की प्रतिक्रिया: शिंदे और फडणवीस का रुख
शिवसेना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संजय गायकवाड़ को समझाने की कोशिश की। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा, “इस तरह के बयान बार-बार बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। मैंने एकनाथ शिंदे से शिकायत की है और उन्हें कड़ी चेतावनी देने की मांग की है।” गायकवाड़ ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “शिंदे और फडणवीस हमारे नेता हैं। उन्हें बोलने का अधिकार है। मैं अपने बयान के लिए फिर से माफी मांगता हूं।”
शिवसेना नेता उदय सामंत का बयान
शिवसेना के वरिष्ठ नेता उदय सामंत ने भी गायकवाड़ के बयान से असहमति जताई। उन्होंने कहा, “गायकवाड़ के बयान से हम में से कोई भी सहमत नहीं है। मुंबई और महाराष्ट्र पुलिस की एक अलग प्रतिष्ठा है। उन्होंने देश में उत्कृष्ट कार्य किया है।” सामंत ने ये भी बताया कि वे गायकवाड़ से इस मुद्दे पर बात करेंगे।
क्या है इस विवाद का निचोड़?
संजय गायकवाड़ का बयान निश्चित रूप से एक गलत कदम था, जिसने उन्हें मुश्किल में डाल दिया। हालांकि, उनकी माफी और पार्टी नेताओं की प्रतिक्रिया से ये साफ है कि मामला अब शांत करने की कोशिश की जा रही है। महाराष्ट्र पुलिस की प्रतिष्ठा और उनके कार्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और गायकवाड़ का ये बयान एक गलती के रूप में ही देखा जा रहा है।
आप इस पूरे मामले के बारे में क्या सोचते हैं? क्या गायकवाड़ की माफी काफी है, या इस तरह के बयानों पर और सख्ती बरतनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।
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