महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) लगातार घर-खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए काम कर रहा है। पिछले साल घर खरीदारों के मुआवज़े की वसूली के लिए एक सेवानिवृत्त अतिरिक्त कलेक्टर को नियुक्त करने के फैसले के बाद अब तक 125 करोड़ रुपये की सफल वसूली की जा चुकी है।
घर खरीदना एक बड़ा निवेश होता है। कई बार बिल्डर तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं करते या फिर दूसरी तरह से ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करते हैं। ऐसे में महारेरा आम लोगों को न्याय दिलाने और बिल्डर्स से मुआवज़ा दिलवाने में अहम भूमिका निभाता है।
महारेरा द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2023 से शुरू हुई नई वसूली व्यवस्था के तहत विभिन्न परियोजनाओं से जुड़ी शिकायतों में अब तक कुल 159.1 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है। अकेले 2023 में 125 करोड़ की राशि बिल्डरों से लेकर प्रभावित ग्राहकों को दिलाई गई है। इसके लिए राज्य के कलेक्टरों, डिप्टी कलेक्टरों, और तहसीलदारों के साथ मिलकर काम किया गया।
महारेरा की यह कोशिश सराहनीय है। भ्रष्ट बिल्डरों के खिलाफ यह कड़ा संदेश है। अभी तक 661.15 करोड़ रुपये की वसूली के लिए 1,095 वारंट जारी किए गए हैं; 160 करोड़ की वसूली इनमें से हो चुकी है। मुंबई और पुणे ज़िलों में सबसे अधिक वारंट जारी किए गए हैं।
यदि कोई बिल्डर तय समयसीमा के भीतर आदेश के मुताबिक मुआवज़ा देने में विफल रहता है तो जिला कलेक्टर का कार्यालय उसे भुगतान करने के लिए बाध्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महारेरा की तरफ से जारी वारंट के आधार पर कानूनी प्रक्रिया के ज़रिए राशि वसूल की जाती है।