महाराष्ट्र

मराठा आरक्षण पर गरजे मनोज जरांगे: सरकार को दी खुली चेतावनी, कहा- ‘विश्वासघात हुआ तो भुगतना पड़ेगा चुनावों में!’

मनोज जरांगे
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मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हाल ही में 5 दिन तक भूख हड़ताल करने वाले समाजसेवी मनोज जरांगे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद उन्होंने बड़ा बयान देते हुए सरकार को साफ-साफ चेतावनी देते हुए कहा है कि, “अगर मराठा समाज से वादा खिलाफी हुई, तो सत्ता में बैठे दलों को चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ेगी।”

सरकार को अल्टीमेटम: “मराठाओं को OBC में शामिल करना ही होगा”
जरांगे ने साफ किया कि उनकी मांग सिर्फ एक जाति प्रमाण पत्र तक सीमित नहीं है। मराठा समाज को हर हाल में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई सिर्फ एक क्षेत्र की नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के मराठाओं की है।

आंदोलन के बाद सरकार का फैसला क्या रहा?
मनोज जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल तब खत्म की थी जब महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समाज को “कुनबी जाति” के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने की घोषणा की। गौरतलब है कि कुनबी जाति को OBC वर्ग में शामिल किया गया है, जिससे मराठा समुदाय को आरक्षण का रास्ता खुलता दिखा।

लेकिन जरांगे का कहना है कि “अगर हैदराबाद और सातारा के राजपत्र को एक महीने के भीतर लागू नहीं किया गया, तो आगामी चुनाव में जनता सत्ता पक्ष को मुंहतोड़ जवाब देगी।”

कोंकण के मराठा भी आंदोलन में होंगे शामिल
जरांगे ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कोंकण क्षेत्र के मराठाओं को अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर इस बार मौका चूक गए, तो अगली पीढ़ियां पछताएंगी। यह आंदोलन तब तक रुकेगा नहीं, जब तक हर मराठा को आरक्षण का हक नहीं मिल जाता।”

युवाओं से अपील: “शिक्षा और नौकरियों में अधिकार के लिए एकजुट हो”
जरांगे ने मराठा युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे किसी के बहकावे में न आएं और शिक्षा और रोजगार के अधिकार के लिए शांतिपूर्ण और संगठित तरीके से संघर्ष करें। यह आंदोलन अब सिर्फ क्षेत्रीय नहीं रहा। ये अब राज्यव्यापी बन चुका है।

OBC नेताओं की नाराजगी, सियासत गरमाई
मराठा आरक्षण के फैसले के बाद OBC वर्ग के कुछ नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। खासतौर पर मंत्री छगन भुजबल ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कैबिनेट मीटिंग से दूरी बना ली।
उन्होंने इशारा किया है कि वह इस फैसले को कानूनी चुनौती भी दे सकते हैं।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मनोज जरांगे ने कहा, “अगर OBC समाज को फायदा होता है, तो हमें कोई दिक्कत नहीं, हम खुश हैं। लेकिन सरकार को सभी वर्गों के लिए न्यायसंगत नीति बनानी चाहिए, चाहे वे दलित हों, मुस्लिम, आदिवासी या किसान।”

मनोज जरांगे का ये साफ संदेश है कि मराठा समाज अब पीछे हटने वाला नहीं है।
सरकार के लिए ये सिर्फ एक सामाजिक मुद्दा नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य का सवाल बन चुका है।

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