Maratha Reservation: मराठा आरक्षण एक लंबा और जटिल मुद्दा है, जिसमें महाराष्ट्र के मराठा समाज के लोग अन्य पिछड़े वर्गों के साथ समान आरक्षण का हक मांग रहे हैं. मराठा समाज राज्य की आबादी का लगभग 30% हिस्सा है, लेकिन उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है. मराठा समाज का दावा है कि वे शिक्षा, रोजगार और आर्थिक विकास में पिछड़ गए हैं, और उन्हें आरक्षण के जरिए सामाजिक न्याय और समानता मिलनी चाहिए.
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिछले कई वर्षों से राज्य में कई आंदोलन, मोर्चे, भूख हड़ताल और हिंसक घटनाएं हुई हैं. मराठा समाज के कई संगठनों ने इस मुद्दे को उठाया है, जिनमें से एक है मराठा सेवा संघ, जिसका नेतृत्व मनोज जरांगे पाटिल कर रहे हैं. मनोज जरांगे पाटिल ने 26 जनवरी 2024 को मुंबई में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें उन्होंने मराठा समाज के लिए कुछ मांगें रखी थीं.
उनकी मांगें इस प्रकार थीं: (Maratha Reservation)
मराठा समाज को कुनबी उप-जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए, जिससे वे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत 27% के आरक्षण का लाभ उठा सकें.
राज्य सरकार द्वारा गठित शिंदे समिति को अभिलेख ढूंढने के लिए एक साल का समय दिया जाए, जिससे मराठा समाज के इतिहास और वंशावली का पता लगाया जा सके.
अभिलेख मिलने पर सभी सगे-संबंधियों को प्रमाणपत्र दिया जाए, और इसके लिए एक विशेष अध्यादेश जारी किया जाए.
मराठा समाज के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं, और इसका सरकारी आदेश का पत्र उन्हें दिखाया जाए.
अगर घर के एक व्यक्ति का अभिलेख मिलता है, तो घर के अन्य सदस्य को फिर अर्ज करना चाहिए.
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100% आरक्षण मिलने तक मराठाओं को मुफ्त में शिक्षा दी जाए.
सरकारी भर्तियों में मराठाओं के लिए जगह रिजर्व की जाए.
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार ने अब इन मांगों को मान लिया है, और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मनोज जरांगे को एक पत्र भी भेजा है, जिसमें उन्होंने इन मांगों को पूरा करने का वादा किया है. मनोज जरांगे ने इस पत्र को स्वीकार करते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म करने की घोषणा की और राज्य के मुख्यमंत्री के हाथ से जूस पीकर अपना अनशन तोड़ा. (Maratha Reservation)