मेडिकल की पढ़ाई करने का सपना देखने वाले हजारों स्टूडेंट्स के लिए NEET-UG एक बड़ी परीक्षा है। लेकिन इस साल यह परीक्षा विवादों में घिर गई। NEET-UG के पेपर लीक होने की खबर ने पूरे देश में हलचल मचा दी। इस मामले में CBI ने अब एक बड़ी कार्रवाई की है। गुरुवार को CBI ने इस केस में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
CBI की इस चार्जशीट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इसमें चार परीक्षार्थी, एक जूनियर इंजीनियर और दो मुख्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस गोरखधंधे में कुछ स्टूडेंट्स के मां-बाप भी शामिल थे। CBI ने बताया कि इस पूरे रैकेट के पीछे दो मुख्य आरोपी हैं – नीतीश कुमार और अमित आनंद।
जांच में पता चला है कि नीतीश कुमार इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड था। वह चार “सेटर्स” में से एक था। उसने अमित आनंद और एक जूनियर इंजीनियर सिकंदर यादवेंदु के साथ मिलकर 30-32 लाख रुपये में पेपर बेचा। यादवेंदु ने इन दोनों को बताया था कि उसके पास चार ऐसे स्टूडेंट्स हैं जो पेपर खरीदने को तैयार हैं।
CBI ने अपनी जांच में पाया कि परीक्षा से एक दिन पहले, यानी 4 मई की रात को अमित ने चार स्टूडेंट्स को बुलाया। उसने उन्हें लीक हुआ पेपर दिया और उसे हल करके जवाब याद करने को कहा। CBI ने इस पूरे मामले की जांच में हाई-टेक तरीके अपनाए। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, CCTV फुटेज और लोकेशन एनालिसिस जैसे एडवांस फॉरेंसिक टूल्स का इस्तेमाल किया।
इस केस में अब तक 40 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें वे 15 लोग भी शामिल हैं जिन्हें बिहार पुलिस ने पकड़ा था। CBI के एक अफसर ने बताया कि जांच अभी खत्म नहीं हुई है। कई और लोगों की भूमिका की जांच चल रही है। जब यह जांच पूरी हो जाएगी, तो एक और चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
CBI की चार्जशीट से कई दिलचस्प बातें सामने आई हैं। पता चला है कि नीतीश कुमार को इसी साल की शुरुआत में Bihar Public Service Commission (BPSC) के पेपर लीक केस में जेल जाना पड़ा था। अमित आनंद ने CBI को बताया कि NEET-UG का पेपर परीक्षा से एक दिन पहले 4 मई को लीक हुआ था।
इस पूरे मामले में कई और लोगों के नाम सामने आए हैं। आशुतोष कुमार को अमित आनंद का साथी माना जा रहा है। 35 साल के रोशन कुमार की भूमिका स्टूडेंट्स को पेपर खरीदने के लिए मनाने की थी। अनुराग यादव ने कथित तौर पर “सेटर” से संपर्क किया था।
NEET-UG पेपर लीक मामले की शुरुआती FIR पटना पुलिस ने 5 मई को दर्ज की थी। बाद में 23 जून को इसे CBI को सौंप दिया गया। CBI ने सिर्फ 38 दिनों में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी। अब तक CBI ने इस मामले में छह FIR दर्ज की हैं। बिहार की FIR पेपर लीक से जुड़ी है, जबकि गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र की FIR फर्जी कैंडिडेट्स और धोखाधड़ी से संबंधित हैं।
NEET-UG पेपर लीक मामले ने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था। संसद से लेकर सड़क तक इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई। कई जगहों पर लोगों ने परीक्षा दोबारा कराने की मांग की। यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया और देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए।
अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। कोर्ट ने 23 जुलाई को NEET-UG को दोबारा कराने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह इस पर एक विस्तृत आदेश जारी करेगा। यह फैसला 2 अगस्त को आने की उम्मीद है।
NEET-UG पेपर लीक मामले ने मेडिकल शिक्षा की व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने दिखाया है कि कैसे कुछ लोग अपने फायदे के लिए हजारों मेहनती स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार और कानून व्यवस्था इस तरह के मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है।