मुंबई

एमएनएस की बैंकों को चेतावनी: मराठी नहीं, तो होगा जोरदार आंदोलन

एमएनएस
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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर बैंकों को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि महाराष्ट्र में बैंकों को मराठी भाषा का इस्तेमाल करना ही होगा। ये नियम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों के अनुसार है। इस मुद्दे पर एमएनएस ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) को पत्र लिखकर बैंकों को मराठी, हिंदी और अंग्रेजी –  इन तीन भाषाओं में सेवाएं देने का निर्देश देने की मांग की है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

बैंकों को राज ठाकरे की चेतावनी
राज ठाकरे ने अपने पत्र में बैंकों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर मराठी भाषा का उपयोग नहीं किया गया, तो एमएनएस सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि अगर इसके बाद कानून-व्यवस्था की कोई समस्या पैदा होती है, तो इसकी जिम्मेदारी बैंकों की होगी। एमएनएस का कहना है कि आरबीआई ने पहले ही बैंकों को निर्देश दिए हैं कि उन्हें अपने साइनबोर्ड और सेवाओं में तीन भाषाओं का इस्तेमाल करना होगा – अंग्रेजी, हिंदी और संबंधित राज्य की स्थानीय भाषा। महाराष्ट्र में ये स्थानीय भाषा मराठी है।

पहले भी उठ चुका है ये मुद्दा
ये पहली बार नहीं है जब राज ठाकरे ने मराठी भाषा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है। कुछ समय पहले उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन रोकने को कहा था। उस समय उनका कहना था कि मराठी भाषा के महत्व को लेकर काफी जागरूकता फैल चुकी है। हालांकि, अब एक बार फिर उन्होंने बैंकों को कटघरे में खड़ा किया है।

पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से शिकायत की थी। यूनियनों का आरोप था कि कुछ लोग, जो खुद को एमएनएस कार्यकर्ता बता रहे थे, बैंक शाखाओं में जाकर कर्मचारियों को परेशान कर रहे थे। इसके बावजूद राज ठाकरे इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

गुड़ी पड़वा पर भी दिया था जोर
30 मार्च को गुड़ी पड़वा के अवसर पर राज ठाकरे ने मराठी भाषा के महत्व पर जोर देते हुए कहा था कि सरकारी और गैर-सरकारी कामकाज में मराठी का इस्तेमाल अनिवार्य होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर कोई जानबूझकर मराठी का उपयोग नहीं करता, तो उनकी पार्टी इसका कड़ा विरोध करेगी।

अब बैंकों का अगला कदम क्या?
इस पूरे मामले में अब सबकी नजर बैंकों के अगले कदम पर है। क्या बैंक मराठी भाषा को अपनी सेवाओं में शामिल करेंगे? या फिर एमएनएस को एक बार फिर सड़कों पर उतरना पड़ेगा? ये सवाल अभी अनुत्तरित है। लेकिन एक बात साफ है, कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर सियासत पूरी तरह गरमाई हुई है।

गौरतलब है कि मराठी भाषा महाराष्ट्र की पहचान है। ये न केवल एक भाषा है, बल्कि राज्य की संस्कृति, इतिहास और अस्मिता का प्रतीक भी है। राज ठाकरे और उनकी पार्टी का मानना है कि बैंकों जैसे संस्थानों को स्थानीय भाषा का सम्मान करना चाहिए। उनका कहना है कि मराठी के बिना महाराष्ट्र की सेवाएं अधूरी हैं।

क्या होगा आगे?
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर ये बहस नई नहीं है। समय-समय पर मराठी भाषा के उपयोग को लेकर आवाजें उठती रही हैं। लेकिन इस बार राज ठाकरे का रुख और सख्त नजर आ रहा है। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि बैंक इस चेतावनी पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। क्या वे मराठी भाषा को अपनाएंगे, या फिर ये मुद्दा और गहराएगा? इसका जवाब तो आने वाला वक्त ही देगा।

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