नरेंद्र मोदी की सरकार ने नीति आयोग को नया रूप दिया है। इस बदलाव में कुछ ऐसा हुआ है जो सबको चौंका रहा है। आइए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।
इस बार नीति आयोग में चार पूरे वक्त काम करने वाले सदस्य और 15 खास बुलाए गए सदस्य हैं। सरकार ने अपने साथी दलों के पांच मंत्रियों को भी जगह दी है:
- एच डी कुमारस्वामी (जेडीएस) – बड़े कारखानों और लोहे का काम
- जीतन राम मांझी (एचएएम) – छोटे और मझोले कारोबार
- राजीव रंजन सिंह (जेडीयू) – मछली पालन और जानवरों की देखभाल
- के आर नायडू (टीडीपी) – हवाई जहाज से जुड़े काम
- चिराग पासवान (एलजेपी) – खाना बनाने वाले उद्योग
इस बार कुछ बड़े नेताओं को बाहर कर दिया गया है। इनमें पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, गडकरी, वीरेंद्र कुमार और राव इंद्रजीत सिंह शामिल हैं। ये सभी बीजेपी के ही नेता हैं।
शिवराज सिंह चौहान को नया सदस्य बनाया गया है। इसके अलावा, निर्मला सीतारमण, अमित शाह और राजनाथ सिंह भी सदस्य हैं। ये सभी बीजेपी के बड़े नेता हैं।
नीति आयोग एक ऐसी टीम है जो देश के विकास के लिए सोचती है। इसके मुख्य काम हैं:
- देश के विकास के लिए लंबी योजनाएँ बनाना
- केंद्र और राज्यों के बीच मेल-मिलाप बढ़ाना
- विकास के काम पर नजर रखना
- नए कारोबार शुरू करने वालों की मदद करना
इस बदलाव से लगता है कि मोदी सरकार अपने साथी दलों को ज्यादा महत्व दे रही है। यह कदम कई तरह से अहम है:
- साथी दलों को खुश करना: साथी दलों के नेताओं को बड़े काम देकर सरकार ने उन्हें अहम बना दिया है।
- चुनावी तैयारी: लगता है कि यह कदम आने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
- नए विचारों का स्वागत: अलग-अलग दलों के लोगों को लाकर सरकार नई सोच को जगह दे रही है।
- हर इलाके का ख्याल: अलग-अलग राज्यों के नेताओं को लाकर सरकार ने सभी इलाकों का ध्यान रखा है।
नीति आयोग में यह बदलाव मोदी सरकार की एक चतुराई भरी चाल लगती है। इससे न सिर्फ साथी दल खुश होंगे, बल्कि सरकार को नए विचार और ज्यादा समर्थन भी मिल सकता है। आगे चलकर देखना होगा कि यह नया नीति आयोग कैसा काम करता है और इसके फैसले देश को कैसे आगे बढ़ाते हैं।
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