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Mohan Bhagwat Speech on Unity: दो-राष्ट्र सिद्धांत से खतरा, एकजुट समाज, मजबूत भारत; मोहन भागवत का नागपुर में संदेश

Mohan Bhagwat Speech on Unity: दो-राष्ट्र सिद्धांत से खतरा, एकजुट समाज, मजबूत भारत; मोहन भागवत का नागपुर में संदेश

Mohan Bhagwat Speech on Unity: भारत एक ऐसा देश है, जहां विविधता में एकता की भावना गहरे तक बसी है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हाल ही में नागपुर में कही। उनके शब्दों में एक गहरी सच्चाई और प्रेरणा थी, जो आज की युवा पीढ़ी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मोहन भागवत ने अपने भाषण में राष्ट्रीय एकता (National Unity, राष्ट्रीय एकता) और आत्मनिर्भर भारत (Self-Reliant India, आत्मनिर्भर भारत) जैसे विचारों पर जोर दिया, जो न केवल देश की सुरक्षा और सम्मान से जुड़े हैं, बल्कि हर भारतीय के दिल को छूते हैं।

नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 के समापन समारोह में मोहन भागवत ने देशवासियों से एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत की असली ताकत इसकी सेना या प्रशासन में ही नहीं, बल्कि इसके लोगों की आत्मा और संकल्प में है। यह बात उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में कही, जहां देश ने एक साथ दुख और एकता का प्रदर्शन किया। इस हमले ने न केवल भारत की संवेदनशीलता को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि जब हम एक साथ खड़े होते हैं, तो कोई भी चुनौती हमें हरा नहीं सकती।

मोहन भागवत ने दो-राष्ट्र सिद्धांत (Two-Nation Theory, दो-राष्ट्र सिद्धांत) की विचारधारा को देश के लिए खतरा बताया। उनके अनुसार, यह विचारधारा तब तक खतरा बनी रहेगी, जब तक समाज में दोहरेपन की बातें खत्म नहीं होतीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी को अपना दुश्मन नहीं मानता, लेकिन हमें हमेशा तैयार रहना होगा। आज के दौर में युद्ध का स्वरूप बदल चुका है। अब यह केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि साइबर हमलों और प्रॉक्सी युद्धों के रूप में भी सामने आ रहा है। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत (Self-Reliant India, आत्मनिर्भर भारत) का निर्माण करना समय की मांग है।

उन्होंने यह भी कहा कि हमें उकसावे और भेदभाव की कहानियों से बचना होगा। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। समाज के किसी भी हिस्से को एक-दूसरे के खिलाफ नहीं खड़ा होना चाहिए। यह संदेश आज की युवा पीढ़ी के लिए खास तौर पर प्रासंगिक है, जो सोशल मीडिया और तेजी से बदलते विचारों के बीच अक्सर भटकाव का शिकार हो सकती है। मोहन भागवत का यह आह्वान हमें याद दिलाता है कि हमारी ताकत हमारी एकता में है, न कि आपसी मतभेदों में।

इस अवसर पर कांग्रेस सांसद और मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने भी RSS के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता (National Unity, राष्ट्रीय एकता) और देश की अखंडता के लिए संघ का कार्य अद्वितीय है। विशेष रूप से, उन्होंने धार्मिक रूपांतरण जैसे मुद्दों पर संघ की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उनके अनुसार, बिना संघ के सहयोग के समाज बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकता। यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि देश की प्रगति के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

मोहन भागवत ने यह भी जोर देकर कहा कि भारत का वैश्विक सम्मान उसकी ताकत पर निर्भर करता है। एक मजबूत राष्ट्र ही अपने नागरिकों को देश और विदेश में सुरक्षित और सम्मानित रख सकता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे छोटी-छोटी बातों में न उलझें, बल्कि देश के विकास और एकता के लिए योगदान दें। यह संदेश नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों के साथ-साथ देश के लिए भी कुछ बड़ा करना चाहती है।

उनके भाषण में एक गहरी भावना थी कि भारत केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है। यह एक ऐसी संस्कृति और विचारधारा का प्रतीक है, जो सदियों से विविधता को अपनाते हुए भी एकजुट रही है। मोहन भागवत ने यह स्पष्ट किया कि हमें अपनी इस ताकत को पहचानना होगा और इसे और मजबूत करना होगा। चाहे वह आत्मनिर्भरता की बात हो या एकता की, उनका संदेश स्पष्ट था—हमारा भविष्य हमारी एकजुटता और संकल्प पर निर्भर करता है।

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