महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (MSRDC) समृद्धि महामार्ग के साथ एक सौर ऊर्जा परियोजना शुरू करने की योजना बना रहा है। इस कदम से महामार्ग ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों में भी सौर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति हो सकेगी।
सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल बढ़ाना पर्यावरण के लिए बेहद ज़रूरी है। इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होता है, बल्कि बिजली के बढ़ते बिलों पर भी लगाम लगाई जा सकती है। सरकारी परियोजनाओं में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (MSRDC) अपनी बिजली खपत की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए समृद्धि महामार्ग के किनारे एक सौर ऊर्जा उत्पादन परियोजना लगाने की योजना बना रहा है। इस पहल में मुंबई के नेपियन सी रोड, बांद्रा रेक्लेमेशन सहित विभिन्न MSRDC कार्यालयों के साथ साथ पुणे, नाशिक, और औरंगाबाद में भी सौर ऊर्जा अपनाई जाएगी। इसके साथ ही, मौजूदा हाईवे पर बनी सुरंगों (टनल) और इंटरचेंज पर भी सौर ऊर्जा से बिजली पैदा की जाएगी। मुंबई-पुणे मिसिंग लिंक और समृद्धि महामार्ग इगतपुरी टनल जैसे आने वाले हाईवे पर भी सौर ऊर्जा का उपयोग होगा।
MSRDC की विशेष इकाई, महासमृद्धि रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (MREL) का लक्ष्य है कि समृद्धि महामार्ग के किनारे उपलब्ध खाली ज़मीन का इस्तेमाल करते हुए नवीनतम तकनीक से सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएं। MSRDC के संयुक्त प्रबंध निदेशक, मनोज जिंदल ने बताया कि इस परियोजना से 150 से 200 मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा करने की योजना है, जिससे समृद्धि महामार्ग के साथ-साथ MSRDC के अन्य मौजूदा और आने वाले हाईवे को भी बिजली मिलेगी। इससे बिजली के बिलों में भारी कमी आने की उम्मीद है।
इस परियोजना के लिए MREL ने एक सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। यह सलाहकार परियोजना की व्यवहार्यता की जाँच करेगा और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा। सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए अलग-अलग मॉडल पर भी विचार किया जा रहा है।
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MSRDC की यह सौर ऊर्जा पहल कार्बन उत्सर्जन को कम करने और समृद्धि महामार्ग को एक हरित गलियारे (ग्रीन कॉरिडोर) में बदलने में अहम भूमिका निभाएगी। इससे ना सिर्फ़ पर्यावरण संरक्षण होगा, बल्कि बिजली की बचत से होने वाली आमदनी का उपयोग राज्य के विकास में किया जा सकेगा।