कल पूरा देश महावीर जयंती मना रहा था, और मुंबई भी इस उत्साह में पीछे नहीं रहा। जैन समुदाय के लोगों ने शहर में धार्मिक जुलूस निकाले, मंदिरों में प्रार्थनाएं कीं, और भगवान महावीर के उपदेशों को याद किया। महावीर जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थंकरों में से एक हैं, और उनका जन्मदिन जैन समुदाय के सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है।
भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर यानी वो महापुरुष जिन्होंने खुद सत्य को जान लिया है और दूसरों को भी सही रास्ता दिखाते हैं। माना जाता है कि महावीर का जन्म चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (13वें दिन) को हुआ था। वे राजसी परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन उन्होंने सांसारिक सुखों को त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या की। महावीर जयंती पर जैन लोग उनके सिद्धांतों, खास तौर पर अहिंसा और सत्य, पर विशेष ध्यान देते हैं।
मुंबई में, जैन समुदाय ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में महावीर जयंती के लिए खास तैयारी की थी। सुबह से ही शहर के देरासरों (जैन मंदिरों) में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। कई जगहों पर भगवान महावीर के जीवन पर आधारित प्रवचन हुए, तो कहीं भक्ति संगीत के कार्यक्रम भी रखे गए थे। इसके अलावा, कई जगहों पर भव्य जुलूस भी निकाले गए जिनमें जैन समुदाय के लोग पारंपरिक कपड़ों में शामिल हुए।
महावीर जयंती जैन समुदाय के लिए सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि समाज के लिए कुछ करने का भी दिन है। कई लोगों ने ‘लाडवा प्रभावना’ करके अपनी खुशी ज़ाहिर की, जिसमें मिठाइयां बाँटी जाती हैं। इसके अलावा, कुछ जैन संस्थानों ने रक्तदान शिविर या ज़रूरतमंदों को भोजन बांटने जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए।
जैन धर्म में सामाजिक कार्यों और दूसरों की मदद को काफ़ी महत्व दिया जाता है। महावीर जयंती जैसे बड़े मौकों पर जैन समुदाय जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आता है। इससे त्योहार की ख़ुशी सिर्फ अपने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसका लाभ समाज के सभी वर्गों को मिलता है।
दादर में वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ ने भीषण गर्मी में लोगों को राहत देने के लिए छाछ केंद्र लगाया। संघ के ट्रस्टी, अनिल धरोड़, ने बताया कि वे पिछले कई सालों से ऐसा करते आ रहे हैं और उन्हें लोगों की सेवा करके बहुत खुशी मिलती है।
डोंबिवली के जैन संघों ने मिलकर एक भव्य महा-रथ यात्रा निकाली। इसमें जैन धर्म की अलग-अलग शाखाएं, जैसे श्वेतांबर, दिगंबर, तेरापंथी आदि, शामिल हुईं। इस जुलूस में कई झाँकियाँ थीं, और जगह-जगह बैंड भी बजाए गए।