मुंबई की सड़कों पर नशा बेचने वाले गिरोहों पर क्राइम ब्रांच की पैनी नज़र रहती है, मगर इस बार पुलिस का सामना एक ऐसे गिरोह से हुआ जो शहर की युवा पीढ़ी को खतरनाक मेफेड्रोन (MD) ड्रग की लत लगाने की साजिश रच रहा था। पिछले कुछ दिनों से मिल रही खुफिया जानकारी के आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम ने बड़ी चतुराई से इस गिरोह का पर्दाफाश किया है।
मायानगरी में ड्रग्स के काले कारोबार पर लगाम लगाने के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच ने सांगली तक जाकर ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। गिरोह का सरगना, जो कवठे महाकाल इलाके का रहने वाला है और पिछले 17 सालों से मुंबई में रह रहा था, अब पुलिस की गिरफ्त में है।
यह मामला शुरू हुआ था 16 फरवरी को, जब क्राइम ब्रांच ने ड्रग्स बेचने वाले चार लोगों को धर दबोचा और एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज करके 4 किलो मेफेड्रोन बरामद की थी। उनसे हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये सारा माल सांगली के किसी गांव में बन रहा है। इसके बाद, इंस्पेक्टर नीरज उबाले की अगुवाई में पुलिस की एक टीम सांगली के इराली गांव पहुंची।
लगभग मिशन फिल्म के किसी सीन की तरह पुलिस ने रविवार-सोमवार की रात को बेहद गुप्त तरीके से फैक्ट्री पर छापा मारा। नतीजा यह रहा कि न सिर्फ फैक्ट्री पकड़ी गई, बल्कि वहां से 150 किलो मेफेड्रोन ड्रग्स, इसे बनाने के उपकरण, बड़ी मशीनें, केमिकल आदि भी पुलिस के हाथ लगे।
जांच में सामने आया है कि ये बदमाश इराली गांव के एक सुनसान कमरे में यह फैक्ट्री चला रहे थे। इस कार्रवाई के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए पुलिस ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। अब यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि इस गिरोह में और कौन-कौन लोग शामिल थे, और ये नशीला माल मुंबई में किसे बेचा जाता था।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पुणे-सांगली पुलिस ने भी मिलकर कुपवाड़ में छापा मारकर मेफेड्रोन बनाने का एक अड्डा पकड़ा था। इससे यह आशंका बढ़ रही है कि सांगली इलाका ड्रग्स माफिया का गढ़ बनता जा रहा है।