पवई, मुंबई: पवई के जय भीम नगर में गुरुवार को बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) ने करीब 600 झुग्गियों को तोड़ दिया, जिससे वहां रहने वाले सैकड़ों लोग बेघर हो गए। लेकिन इन लोगों ने हार नहीं मानी है और बीएमसी से लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने उपनगर कलेक्टर को पत्र लिखकर पुनर्वास, मुआवजा और गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
जय भीम नगर के लोगों का कहना है कि उन्हें तोड़फोड़ की कोई नोटिस नहीं दी गई थी और पुलिस और बिल्डर के बाउंसरों ने उनके साथ मारपीट की। जब बीएमसी की टीम तोड़फोड़ करने आई तो लोगों ने विरोध किया और पथराव कर दिया, जिसमें 20 सरकारी अधिकारी घायल हो गए। पुलिस ने इस मामले में 200 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
फुटपाथ पर रहने को मजबूर लोग
बेघर हुए लोग अब जय भीम नगर के बाहर फुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं। रविवार को जब मुंबई में पहली बारिश हुई तो उन्होंने तिरपाल से फुटपाथ को ढककर अपने बच्चों को बचाया।
लोगों की मांगें क्या हैं?
- उन्हें दूसरी जगह या फिर उसी जगह पर घर दिए जाएं।
- तोड़फोड़ से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
- पथराव के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा किया जाए।
कब तक नहीं हटेंगे लोग?
जय भीम नगर के लोग तब तक फुटपाथ खाली नहीं करेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। उन्होंने रविवार को एक रैली निकालने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस के कहने पर इसे रद्द कर दिया।
क्या कह रहे हैं सामाजिक संगठन?
जन हक संघर्ष समिति, जो स्थानीय लोगों को उनकी जमीन वापस दिलाने में मदद कर रही है, का कहना है कि बीएमसी ने मानसून के दौरान तोड़फोड़ पर रोक लगाने वाले सरकारी आदेश का उल्लंघन किया है। उन्होंने इस तोड़फोड़ में एक निजी बिल्डर की भूमिका की भी जांच की मांग की है।