Mumbai ONTV News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एफआईआर रद्द कर दिया है। अदालत ने पाया कि व्हाट्सएप मैसेज के अलावा प्रथम दृष्टया व्यक्ति के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कोई सबूत नहीं है।
यह मामला ठाणे के घोड़बंदर रोड स्थित गीता फर्नीचर में काम करने वाले आकाश नामक एक सेल्समैन का है। आकाश का शव पिछले साल 23 अक्टूबर को रेलवे पटरी पर मिला था।
आकाश की बहन को एक व्हाट्सएप मैसेज मिला था, जिसमें लिखा था कि वह विकास पांडे नामक एक व्यक्ति के कारण आत्महत्या कर रहा है। आकाश की बहन के बयान के आधार पर कल्याण पुलिस ने विकास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या करने के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया था।
विकास और आकाश दोनों दोस्त थे। आकाश की बहन का दावा था कि आकाश ने विकास से पैसे उधार लिया था और विकास उसे पैसे लौटाने के लिए परेशान कर रहा था। (Mumbai ONTV News)
विकास ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि आकाश ने उसे पैसे लौटाए थे।
न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन.आर.बोरकर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मृतक शराबी और जुआरी था। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों से पता चलता है कि आकाश ने विकास समेत अन्य व्यक्तियों से पैसे उधार लिए थे।
खंडपीठ ने कहा कि पुलिस ने एफआईआर और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत को भले ही पूरी तरह से स्वीकार कर ली गई हो, लेकिन वह भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत उकसावे की आवश्यक सबूत का खुलासा नहीं करती है।
अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में आपराधिक कार्यवाही जारी रखना कानून प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। (Mumbai ONTV News)
अदालत ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार कर कल्याण पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया।
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