लद्दाख का खूबसूरत इलाका अपने पर्यावरण के लिए भी जाना जाता है। इसी पर्यावरण को बचाने के लिए लड़ रहे सोनम वांगचुक के साथ अब मुंबई और महाराष्ट्र के लोग भी खड़े हो गए हैं। सोनम वांगचुक का ‘पश्मीना मार्च’ लद्दाख की आवाज़ को देशभर में पहुंचाने की एक बड़ी कोशिश है।
लद्दाख के जाने-माने इंजीनियर और समाज सुधारक सोनम वांगचुक पिछले काफी समय से लद्दाख को बचाने के लिए आवाज़ उठा रहे हैं। लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और इसे राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर वह कई दिनों की भूख हड़ताल भी कर चुके हैं। वांगचुक की इस मांग को लद्दाख के युवाओं और महिलाओं ने खूब साथ दिया।
भूख हड़ताल खत्म करने के बाद भी सोनम वांगचुक का हौसला नहीं टूटा। उन्होंने लद्दाख के चांगथांग में ‘पश्मीना मार्च’ निकालने का फैसला कर लिया है। इस मार्च के ज़रिए वह लद्दाख में बड़ी कंपनियों द्वारा ज़मीन हड़पने और चीन की घुसपैठ जैसी समस्याओं को अच्छे से समझना चाहते हैं। वह लद्दाख के किसानों और चरवाहों की मुश्किलों को भी सामने लाएंगे। इस मार्च में हज़ारों लोग शामिल होंगे जिसकी शुरुआत 7 अप्रैल से होगी। मुंबई और महाराष्ट्र से भी कई लोग उनका साथ देने लद्दाख जाएंगे।
सोनम वांगचुक की यह मुहिम दिखाती है कि एक इंसान कितना बड़ा बदलाव ला सकता है। उनकी इस लड़ाई में अब पूरा देश उनके साथ खड़ा हो रहा है।
‘फ्रेंड्स ऑफ लद्दाख’ नाम से मुंबई के लोग वांगचुक के साथ जुड़कर लोगों को उनके आंदोलन के बारे में बता रहे हैं। महाराष्ट्र के कई इलाकों से चार लोग लद्दाख जाकर इस ‘पश्मीना मार्च’ का हिस्सा बनेंगे। इसमें मुंबई के दिलीप जैन, किसानों के हक के लिए लड़ने वाले विनायकराव पाटिल के साथ कुछ और लोग भी शामिल हैं। मुंबई का ‘फ्रेंड्स ऑफ लद्दाख’ समूह 7 अप्रैल को और लोगों को इस आंदोलन के बारे में जागरूक करने के लिए कुछ कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।